देश में कुछ राजनीतिक दलों की ओर से जनता के लिए मुफ्त में तमाम सुविधाओं को देने की परंपरा को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही है। समाज का एक वर्ग का मानना है कि ऐसी सुविधाएं को देने से दलों को सियासी फायदे मिल जाते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था पर फर्क पड़ता है। इतना ही नहीं दूसरे दलों पर भी ऐसे ऐलान करने का दबाव बढ़ता है। दूसरी तरफ लोग मुफ्त की सुविधाओं के आदि हो जाते हैं और अच्छी सरकार चुनने के बजाए अपनी सुविधाओं को ध्यान में रखकर सरकार चुनने लगते हैं।

जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस कराने की बात कही

राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर रविवार को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “तथाकथित मुफ्त की राजनीति खर्च की प्राथमिकताओं को बिगाड़ देती है। लंबे समय में अर्थव्यवस्था, जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक सामंजस्य के लिए इस तरह का राजकोषीय संरक्षण कितना महंगा है, इस पर एक स्वस्थ राष्ट्रीय बहस की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “आर्थिक दिग्गजों के अनुसार मुफ्त चीजें, व्यापक आर्थिक स्थिरता के बुनियादी ढांचे को कमज़ोर करती हैं।”

सत्ता में रहने वालों को इस बारे में समझाए जाने पर दिया जोर

जगदीप धनखड़ ने कहा, “मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की बहुत सराहना करूंगा जो एक बहस को प्रेरित कर रहा है, एक पेपर ला रहा है, जो बड़े पैमाने पर लोगों के लिए बेहद जानकारीपूर्ण, प्रोत्साहित करने वाला और विशेष हो सकता है। जो लोग सत्ता में हैं, उन्हें इस बात को समझाया जा सकता है कि हमें जेबों को नहीं बल्कि मानव दिमाग, मानव संसाधन को सशक्त बनाने की जरूरत है।”

मुख्य अतिथि के रूप में धनखड़ ने देश में कानून का शासन कायम रखने के महत्व पर जोर दिया। मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने और बढ़ावा देने में भारत की प्रगति पर बोलते हुए धनखड़ ने कहा, “हमारा ‘अमृत काल’ मुख्य रूप से मानवाधिकारों और मूल्यों के खिलने के कारण ‘गौरव काल’ बन गया।”

एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने समाज पर नई डिजिटल टेक्नोलॉजी के प्रभाव की परिवर्तनकारी शक्ति को स्वीकार किया। हालाकि, उन्होंने इससे होने वाले नुकसान के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि कैसे इंटरनेट उपयोगी होते हुए भी नफरत भरे भाषण और गलत सूचना के प्रसार के माध्यम से गोपनीयता का उल्लंघन कर सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं कमजोर हो सकती हैं।