बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल जीत के लिए बाहुबलियों का सहारा लेने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। अपनी जीत पक्की करने के लिए बाहुबलियों को टिकट देने में तकरीबन सभी दलों में होड़ है। कुख्यात बदमाश जो जेल में सजा भुगत रहे हैं या फरार हैं, उनकी पत्नी को राजनीतिक दल अपना सिंबल देकर चुनाव लड़वा रहे हैं। जिन बाहुबली को किसी दल ने अपने गले नहीं लगाया, वे निर्दलीय अपने बूते पर चुनाव में कूद पड़े हैं, ताकि उनका अपराध की दुनिया के साथ राजनीति में भी धमक बरकरार रहे। राजनीति के अपराधीकरण के लिए बिहार पहले से बदनाम था और आज भी बदनाम है।
पहले चरण के 71 क्षेत्रों में नामांकन की प्रक्रिया 12 अक्तूबर को पूरी हो गई। यहां 28 अक्तूबर को मतदान होगा। दूसरे चरण के मतदान की अधिसूचना जारी हो चुकी है। 16 अक्तूबर तक पर्चा दाखिल करने की अंतिम तारीख है। इस बीच सरसरी निगाह से बिहार के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों पर गौर करें, जहां से बाहुबली अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
इस बार राजद उम्मीदवार के तौर पर अनंत सिंह ने मोकामा से पर्चा भरा है। यह इलाका पटना ज़िले का हिस्सा है। और मुंगेर संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। इनके साथ ही इनकी पत्नी नीलम देवी ने भी इसी इलाके से नामांकन किया है। अनंत सिंह को बिहार में छोटे सरकार के तौर पर लोग जानते हैं। ये जेल में बंद हैं। ये किसी भी तरह का जोखिम उठाने की हालत में नहीं हैं। तभी तो इन्होंने पत्नी से भी पर्चा भरवाया है। ताकि उनका नामांकन किसी वजह से रद्द हो जाए तो पत्नी को चुनाव मैदान में लड़ाया जा सके। यहां चुनाव 3 नवंबर को है।
वैसे 2019 का लोकसभा चुनाव नीलम देवी ने बतौर कांग्रेस उम्मीदवार जदयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के खिलाफ लड़ चुकी है। मगर वे शिकस्त खा गई थी। बहरहाल इनके पति अनंत सिंह पर तीन दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक समय था कि अनंत सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी थे। इनको इन्हें चांदी के सिक्कों से तौल दिया था।
वहीं राजद ने सजायाफ्ता राजबल्लभ प्रसाद यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा से अपना उम्मीदवार बनाया है। राजबल्लभ पर नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का आरोप अदालत में सिद्ध हो चुका है। और ये इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। 2015 का चुनाव राजद के टिकट से इन्होंने ही नवादा से जीत दर्ज कराई थी।
राजद ने संदेश विधानसभा सीट से किरण देवी को उम्मीदवार बनाया है। ये निवर्तमान विधायक अरुण यादव की पत्नी हैं। अरुण यादव पर भी दुष्कर्म के आरोप में मामला दर्ज है और ये फरार हैं।
राजद की सूची में बाहुबली की कड़ी में गया के बेलागंज विधानसभा से सुरेंद्र यादव का नाम है। इन्हें लोग मगध सम्राट के नाम से जानते हैं। इनके नाम भी आपराधिक मामले में पुलिस में दर्ज हैं। जदयू ने अतरी क्षेत्र से दिवंगत बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी को उतारा है। बिंदी यादव को इलाके में कभी आतंक का पर्याय माना जाता था।
इनके नाम भी पुलिस थानों में हत्या, लूट, रंगदारी जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। मनोरमा देवी के गया निवास से शराबबंदी के बावजूद भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद हुई थी।
इतना ही नहीं मनोरमा के बेटे रॉकी यादव को रोड रेज मामले में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। उसने एक व्यापारी के बेटे को कार आगे-पीछे करने को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। मसलन परिवार की छवि इलाके में साफ-सुथरी नहीं है।
बाहुबली सुनील पांडे भोजपुर के तरारी विधानसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ये चार दफा विधायक रह चुके हैं। हाल ही में इन्होंने लोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इन पर भी हत्या और रंगदारी के कई मामले पुलिस थानों में दर्ज हैं। ये भी नीतीश कुमार के करीबी रह चुके हैं।
राजद के टिकट पर बाहुबली सुनील यादव पटना के पालीगंज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। तो दानापुर सीट से रीतलाल यादव भी राजद उम्मीदवार हैं। ये हाल ही में पटना उच्च न्यायालय से मिली जमानत पर जेल से छूटे हैं। इन पर भी हत्या, रंगदारी के कई मामले दर्ज हैं। लखीसराय इलाके के कुख्यात प्रह्लाद यादव भी चुनाव मैदान में कूदे हैं।
इसके अलावा बाहुबली रामा सिंह, रणवीर यादव, अमरेंद्र पांडे और अवधेश मंडल की पत्नियां भी अपने प्रभाव वाले इलाके से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। यह तो पहले चरण का नजारा है। दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में बाहुबली उम्मीदवारों की संख्या में इजाफा होना तय है। साफ छवि वाले लोग इस पर चिंता भी जताते हैं। वरीय वकील कौशल किशोर पांडे, हरिप्रसाद शर्मा कहते हैं कि बाहुबलियों को इस तरह टिकट देना लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है।

