कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दो दशक से जेल में बंद पूर्व मंत्री और दबंग नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई का आदेश दिए जाने के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। करीब बीस साल पहले 9 मई 2003 को युवा कवयित्री मधुमिता शुक्ला की लखनऊ के निशातगंज इलाके के पेपर मिल कॉलोनी स्थित घर में हत्या कर दी गई थी। 24 साल की मधुमिता शुक्ला अक्सर राजनीतिक समारोहों में कविता पाठ करती थीं और इस वजह से उनकी राजनीतिक लोगों में अच्छी पैठ बन चुकी थी। वह तब तक काफी नाम कमा चुकी थीं। इस मर्डर से 20 साल पहले यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया था। पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से मधुमिता शुक्ला के संबंध और फिर मर्डर की कहानी किसी उपन्यास से कम नहीं है।

अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला के बीच कैसे बढ़ीं नजदीकियां

अमरमणि त्रिपाठी पूर्वांचल में एक बड़े नेता थे। वे कई बार विधायक रह चुके थे और कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी और भाजपा सभी दलों में वह रह चुके थे। कई बार कवि सम्मेलनों में अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला की मुलाकात हुई। यह मुलाकात नजदीकियों में बदलने लगी तो दोनों लोगों का एक-दूसरे के घरों में भी आना जाना शुरू हो गया।

मधुमिता को अमरमणि की मां भी करती थीं पसंद

यह भी चर्चा में रहा कि अमरमणि त्रिपाठी की मां को कविताएं सुनने का शौक था। वह मधुमिता के वीर रस की कविताओं से बेहद प्रभावित हुईं और अपने घर आमंत्रित किया। मधुमिता अक्सर अमरमणि के घर जाने लगीं, यहां उनकी दोस्ती अमरमणि की बेटियों से हो गई, पत्नी से भी अच्छे संबंध हो गए। इसी दौरान अमरमणि से उनकी रिलेशनशिप शुरू हो गई।

क्यों हुई युवा कवयित्री की हत्या

अमरमणि त्रिपाठी की जब मधुमिता से नजदीकियां बढ़ीं तो उनके बीच आपसी संबंध काफी गहरे हो गये। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वह प्रेगनेंट हो गईं और इसका राज खुलने पर अमरमणि की राजनीति पर असर पड़ सकता था। मामला गंभीर होता इससे पहले ही मधुमिता को खत्म कर देने की साजिश बनाई जाने लगी।

डीएनए जांच में हुई फीजिकल रिलेशनशिप की पुष्टि

मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को हत्या के बाद जब जांच शुरू हुई तो पुलिस को सबसे पहले अमरमणि त्रिपाठी पर ही संदेह हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रेगनेंट होने और दोनों के डीएनए मैच करने से यह बात साफ हो गई। अमरमणि के दबंग होने से केस प्रभावित होने का खतरा था, लिहाजा इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

इसके बाद अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में साजिश में उनकी पत्नी मधुमणि के भी शामिल होने का खुलासा होने पर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। 2007 में दोनों को उम्रकैद की सजा हुई।

पहले भी रहा है आपराधिक रिकॉर्ड 

ऐसा नहीं है कि अमरमणि का नाम पहली बार किसी आपराधिक गतिविधि में सामने आया था। इसकी शुरुआत 2001 में ही हो चुकी थी। इस साल उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक बड़े कारोबारी का बेटा किडनैप हुआ था। जांच में पता चला कि किडनैपर्स ने बच्चे को अमरमणि के घर पर ही रखा था।

इस मामले में भी उनकी खासी किरकिरी हुई थी और मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस मामले के दो साल बाद वह मधुमति हत्याकांड में पकड़े गए।