पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार (25 जून, 2019) को एंटीगुआ सरकार चोकसी की नागरिकता (वहां की) रद्द कर उसे भारत सौंपने पर राजी हो गई। एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने इस बारे में कहा कि हम अपने देश में अपराधियों को शरण नहीं दे सकते हैं। दरअसल, भारत इस मसले पर एंटीगुआ पर लगातार दबाव बना रहा था। पीएम ने आगे कहा, “हम इस मामले में अपराधियों और आर्थिक जुर्म में लिप्त लोगों को किसी प्रकार का संरक्षण नहीं मुहैया करा रहे हैं।”

बकौल एंटीगुआ पीएम, “चोकसी ने नागरिकता मांगी, उसे मिल गई। पर असलियत यह है कि उसकी नागरिकता रद्द की जाएगी और उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा। फिलहाल यह मामला कोर्ट के समक्ष है। ऐसे में हमें बची हुई प्रक्रिया पूरी करनी है। हमने भारत सरकार को यह भी बताया है कि अपराधियों के भी अपने मूल अधिकार होते हैं और चोकसी के पास भी कोर्ट में खुद का बचाव करने का अधिकार है। पर मैं आपको सुनिश्चित कर दूं कि उसके सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा।”

चोकसी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स पर सरकारी सूत्रों के हवाले से ‘एएनआई’ ने बताया कि अब चोकसी की नागरिकता रद्द होने की प्रक्रिया का इंतजार है, जिसके बाद प्रत्यर्पण से संबंधित कार्रवाई होने की संभावना है। ऐसे में एंटीगुआ सरकार से भारत संपर्क साधे हुए है। हालांकि, विदेश मंत्रालय को एंटीगुआ सरकार के इस निर्णय के बारे में आधिकारिक तौर पर सूचना नहीं है।

बता दें कि तकरीबन 13 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के बाद वह विदेश भाग गया था। वह पिछले साल की शुरुआत से एंटीगुआ में है, जबकि भारत बीते कुछ समय से चोकसी के प्रत्यर्पण की पुरजोर कोशिशों में जुटा है। एजेंसियों ने कथित तौर पर बीमार हुए चोकसी को एयर एंबुलेंस से लाने का प्रस्ताव भी रखा था, पर उसकी ओर से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए भारत आने में असमर्थता जताई गई थी। हालांकि, जांच में सहयोग की बात पर वह राजी हो गया था।