पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) बैंक में हुए फर्जीवाड़े से बैंक के ग्राहक सकते में हैं। मुंबई पुलिस ने सोमवार को पीएमसी बैंक और एचडीआईएल के आला अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर) दर्ज की है। मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी है। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अधिकारियों के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दायर किया है। पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि 2008 से बैंक का घाटा 4,355.46 करोड़ रुपये हो चुका है।

फंड्स की कमी और पैसे निकालने को लेकर लगी बंदिशों को लेकर बैंक ग्राहक काफी परेशान और हताश हैं। ऐसे ही एक शख्स ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से शिकायत करते हुए कहा कि ‘लोग जहर पीने के लिए मजबूर हैं।’ निर्मला ने तुरंत इस टि्वटर यूजर को जवाब दिया और उन्हें शांत कराने की कोशिश की।

बता दें कि आरबीआई ने मामला सामने आने के बाद ग्राहकों के लिए धन निकासी की सीमा 1 हजार रुपये सीमित कर दी। हालांकि, बढ़ते विरोध के बाद इस सीमा को बढ़ाकर 10 हजार रुपये महीना कर दिया गया। उधर, वित्त मंत्री सीतारमण ने ट्वीट कर जानकारी दी कि बैंक के ग्राहक किसी समस्या के लिए वेबसाइट पर जाएं या फिर किसी तरह की पूछताछ या अन्य समस्याओं के लिए टोल फ्री नंबर 1800223993 पर शिकायत करें।

उधर, एक टि्वटर यूजर राकेश भट ने वित्त मंत्री के इस ट्वीट पर लिखा, ‘डियर मैडम, इसमें नया कुछ नहीं है। हम तुरंत समाधान चाहते हैं। इस संकट से निपटने के लिए बहुत सारे तरीके हैं और भारत सरकार और आरबीआई से ऐसी उम्मीद नहीं थी। कृपया इसे चुनौती की तरह लें वर्ना लोग जहर खाने और जान देने के लिए मजबूर हैं।’ वित्त मंत्री ने तुरंत इस ट्वीट पर जवाब दिया। उन्होंने राकेश से अपील की कि वे ऐसी कठोर बातें न लिखें। उन्होंने बताया कि मल्टी स्टेट कॉपरेटिव इंस्टिट्यूशन वित्त मंत्रालय के दायरे में नहीं आते, भले ही वे बैंक कहलाते हैं। सीतारमण के मुताबिक, आरबीआई ही ऐसे संस्थानों का रेगुलेटर है और वो एक्शन ले रहा है।

बता दें कि बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा एचडीआईएल के निदेशक वाधवन का नाम एफआईआर में है। इस मामले में काम करने के तरीके के बारे में एफआईआर में कहा गया है कि एचडीआईएल के प्रमोटरों ने बैंक के प्रबंधन के साथ सांठगाठ कर भांडुप शाखा से कर्ज लिया।

पुलिस के एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार कर्ज का भुगतान नहीं होने के बावजूद बैंक के अधिकारियों ने एचडीआईएल के कर्ज को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया और इस सूचना को रिजर्व बैंक अधिकारियों से छिपाया। इन लोगों ने कंपनियों के जाली खाते भी बनाए जिन्होंने थोड़ी-थोड़ी राशि का कर्ज लिया। नियामकीय निगरानी से बचने के लिए बैंक की जाली रिपोर्ट भी बनाई गई।

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)