उत्तर प्रदेश के बलिया में हैबतपुर सहित करीब दर्जन भर गांवों के लोगों का कष्ट अभी तक खत्म नहीं हुआ है। इसके लिए आश्वासन-आंदोलन-ज्ञापन आदि का दौर कई सालों से चल रहा है। इसके बावजूद बीतते समय के साथ इन गांवों के अस्तित्व पर खतरा बढ़ता जा रहा है। ये गांव गंगा के कटान का शिकार बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
हैबतपुर गांव में बीते चार सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीन बार दौरा हो चुका है। 2016 में 1 मई को उन्होंने महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना की शुरुआत भी इसी गांव से की थी। बलिया के हैबतपुर में दस गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की राष्ट्रव्यापी शुरुआत की गई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी कभी इस गांव में रह चुके हैं। बड़े सांकेतिक महत्व के बावजूद आज इस गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है। स्थानीय संगठन और लोग यहां पर एक बांध बनाए जाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं, ताकि गांवों को गंगा के कटान से बचाया जा सके। लेकिन, उनकी मांग अभी तक अनसुनी है।
इस मांग को लगातार उठा रहे एक संगठन युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने जनसत्ता.कॉम को बताया कि कटान से 10-12 लाख की आबादी सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है। हैबतपुर गांव एक तरह से बलिया का प्रवेश द्वार है और गंगा इसके काफी करीब पहुंच चुकी है।
रोहित ने कहा कि उनका संगठन 3 वर्षों से बांध के लिए आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्होंंने बताया कि नदी से हैबतपुर एवं बलिया शहर की दूरी महज 700 मीटर रह गई है। अगर जल्द बांध नहीं बनाया गया तो हैबतपुर सहित दर्जन भर गांंव एवं बलिया शहर का अस्तित्व मिट जाएगा।
बता दें कि बलिया ऐतिहासिक महत्व का जिला है। मंगल पांडेय, चित्तु पांडेय, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, चंद्रशेखर,जनेश्वर मिश्रा जैसे दिग्गजों के चलते बलिया की विश्वव्यापी ख्याति है।
रोहित सिंह ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस विषय में पत्र भी लिख चुके हैं। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के साथ भारत सरकार के जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत से मिलकर भी उज्ज्वला योजना की जन्मभूमि को बचाने की फ़रियाद कर चुके हैंं,पर कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।

