देश में चूल्हे से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) में लाखों महिलाओं को नई गैस कनेक्शन मिलने का इंतजार है। आबंटन प्रक्रिया की धीमी रफ्तार की वजह से आवेदन करने वाली महिलाओं का आंकड़ा लाखों की संख्या में पहुंच गया है। लंबित आवेदनों की बात करें तो सबसे अधिक मामले दक्षिण भारत के राज्यों में लटके हुए हैं। पूरे देश में सबसे अधिक लंबित मामलों की संख्या पश्चिम बंगाल राज्य में है, वहीं सबसे कम मामले कम मामले लक्ष्यद्वीप में हैं।

आवेदन प्रक्रिया निपटारे की कोई समय सीमा नहीं

केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के मुताबिक केंद्र सरकार ने एक रपट में बताया है कि इसमें बहुत से ऐसे आवेदन शामिल हैं, जिनके लिए अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत हैं। ये आवेदन कितनी समय सीमा के भीतर जारी किए जाएंगे, इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में लोकसभा में इन लंबित गैस कनेक्शन की संख्या के आंकड़े की जानकारी उपलब्ध कराई है।

रपट के मुताबिक यदि एक लाख से अधिक लंबित मामलों वाले राज्यों की बात करें, तो पीएमयूवाई के तहत सबसे अधिक मामले पश्चिम बंगाल में लटके हुए हैं। इस योजना के तहत असम में 189499, बिहार में 101099, छत्तीसगढ़ में 115118, मध्य प्रदेश में 146410, पंजाब में 114338, उत्तर प्रदेश में 132650 और पश्चिम बंगाल में 1435426 महिलाओं ने आवेदन किया है। इस सूची में केंद्र सरकार ने सभी केंद्र शासित और पूर्ण राज्यों में लटके हुए गैस आवेदन के मामलों की जानकारी दी है। इस सूची में दिल्ली के 25667, गुजरात के 52011, हरियाणा के 45408, जम्मू कश्मीर के 5936, पंजाब के 15715 और उत्तराखंड में 4724 आबंटन के मामले लटके होने की भी जानकारी शामिल हैं। ये रपट एक जुलाई 2024 तक के आंकड़े के आधार पर जारी की गई है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत केंद्र सरकार गरीब परिवारों को बगैर जमानती राशि के गैस कनेक्शन दे रही है। इस योजना की शुरुआत मई 2016 में हुई थी। इसका लक्ष्य गरीब परिवारों को स्वच्छ रसोई ईंधन उपलब्ध कराना और परंपरागत ईंधन की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करना है, इसके अतिरिक्त इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को लकड़ी एकत्र करने से राहत दिलाना है।

केंद्र सरकार की रपट के मुताबिक पूरे देश में एक जुलाई 2024 तक 10.33 करोड़ गैस कनेक्शन जारी किए जा चुके है। घर में गैसे आने से महिलाओं व बच्चों को श्वास संबंधित बीमारियां कम होती हैं। आर्थिक उत्पादकता बढ़ती है, महिलाएं अन्य कार्य में सक्रिय होती हैं।
प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण संरक्षण संबंधित उपाय में योगदान बढ़ता है। परंपरागत ईधन की तुलना में गैस प्रयोग होने से दुर्घटनाएं कम होती हैं।