PM Surya Ghar Yojana: देश में आम जनता प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना से जुड़कर अपने घर बिजली बिल कम करना चाहती है, लेकिन आज भी 80.13 लख से ज्यादा परिवारों को इस योजना में शामिल होने की मंजूरी मिलने का इंतजार है। केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत एक करोड़ परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था लेकिन विभिन्न राज्यों की ओर से इस श्रेणी में 1.38 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए थे। मंत्रालय के मुताबिक प्राप्त किए गए आवेदनों में अब तक मंत्रालय ने केवल 58.58 लाख पंजीकरण को ही मंजूरी दी है। इस वजह से प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना पीछे है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का लक्ष्य भारत के सभी घरों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना था। यह योजना सौर छत क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए लागू की गई थी। इसके तहत घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए राज्य सरकार से आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके तहत सरकार द्वारा तीन किलोवाट क्षमता के लिए चालीस फीसद की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। केंद्र सरकार का अनुमान था कि इस योजना के लागू होने से सालाना करीब 75 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। हाल ही में लोकसभा के पटल पर पेश प्रक्कलन समिति की रपट में यह जानकारी दी है।
यह भी पढ़ें: ‘ये कानून श्रमिकों के अधिकारों…’, राहुल गांधी ने 4 नए लेबर कोड को लेकर उठाए सवाल
रजिस्ट्रेशन में आई भारी कमी
रिपोट में यह भी है कि इस योजना के तहत पहले की तुलना में पंजीकरणों की संख्या में भी कमी आई है। इस क्षेत्र में सबसे अच्छा काम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, असम और कर्नाटक ने किया है, जबकि बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब और कई उत्तर पूर्व राज्य इस योजना के तहत पंजीकरण में पिछड़ रहे हैं। देश में अब तक 17, 01,137 सौर पैनल लाइट लगी हैं। इस मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन गुजरात, महाराष्ट्र और केरल राज्य का रहा है।
यह भी पढ़ें: 83 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाला महाराष्ट्र का यह गांव खुफिया एजेंसियों के रडार पर क्यों है?
इस योजना के तहत ऋण उपलब्ध नहीं करा पाना इस योजना में कम सौर उत्पादन की सबसे बड़ी वजह रही है। इस योजना के तहत 19 मई, 2025 तक कुल 5,31,199 आवेदन ऋण के लिए प्राप्त किए गए थे। इन आवेदनों में से कुल 2,82,240 आवेदनों को ही स्वीकार किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि स्वीकार किए गए आवेदनों में से 28 फरवरी 2025 तक 1,05,528 आवेदनों को 20001.7 करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया।
लोन रिजेक्शन की दर पर जताई चिंता
इस योजना के तहत ऋण अस्वीकार करने की दर पर समिति ने चिंता जाहिर की है क्योंकि बैंकों की ओर से 2,48,959 आवेदनों को अस्वीकार किया गया था। इस व्यवस्था में सुधार के लिए समिति ने मंत्रालय को मानक तय करने की सलाह दी है। समिति ने कहा कि इस पहल से 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 50 फीसद तक कमी लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त वर्ष 2070 पूरी अर्थव्यवस्था से कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने में सहायता मिलेगी।
यह भी पढ़ें: हुमायूं कबीर के साथ गठबंधन को लेकर आ गया ओवैसी की पार्टी का बयान, जानिए क्या कहा?
