प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज यानी मंगलवार को सऊदी अरब की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। पीएम मोदी की यह यात्रा दो दिन की होगी। इस दौरान उनकी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाकात होगी। इस दौरान रक्षा समेत कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी तो रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक में भी पीएम मोदी शामिल होंगे। सऊदी अरब की उनकी यात्रा को लेकर भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जेद्दा आ रहे हैं। सदियों से, जेद्दा उमराह और हज के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बंदरगाह रहा है। उन्होंने बताया कि यहां दोनों नेता, प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस, सामरिक भागीदारी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने जा रहे हैं। पीएम मोदी की जेद्दा में यह पहली यात्रा है।
पीएम मोदी का तीसरे कार्यकाल में पहला सऊदी दौरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीसरे कार्यकाल में सऊदी अरब का यह पहला दौरा है। इससे पहले वह 2016 और 2019 में वहां की यात्रा कर चुके हैं। यह यात्रा तब हो रही है, जब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत का दौरा किया था। इससे पहले हाल ही में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पीएम की इस यात्रा की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और सऊदी अरब के संबंधों के लिए बहुत अहम है। मिस्री ने कहा, सऊदी अरब इस्लामी दुनिया में एक प्रमुख आवाज है और वह अब क्षेत्रीय मामलों में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
इन लोगों से होगी मुलाकात
पीएम मोदी अपनी जेद्दा यात्रा के दौरान एक फैक्ट्री की दौरा करेंगे। इस दौरान भारतीय कामगारों से बातचीत भी करेंगे। पीएम मोदी के सऊदी अरब दौरे को लेकर भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी से एक सवाल पूछा गया कि क्या आप इस बात की उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच भारत में वक्फ बोर्ड के विवाद और कानून में बदलाव पर भी चर्चा होगी? इसके जवाब में विक्रम मिसरी ने कहा था, ‘मैंने यह नहीं देखा है कि सऊदी अरब की तरफ से आधिकारिक रूप या किसी भी सरकारी विभाग ने इस मुद्दे को उठाया है। मैं इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हूं कि यह मुद्दा दोनों की बातचीत में क्यों आएगा?’
बता दें कि पीएम मोदी की सऊदी अरब की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत में वक्फ कानून को लेकर हंगामा मचा हुआ है। भारत के मुस्लिम नेतृत्व के साथ-साथ विपक्ष भी इससे नाराज है। कई राज्यों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 1995 के वक्फ एक्ट में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। अब वक्फ की संपत्तियों में केंद्र सरकार की भूमिका बढ़ गई है।