प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कई मुद्दों पर विस्तार से बात की। एक घंटा 40 मिनट के अपने संबोधन में उनकी आक्रमक शैली ही चर्चा का विषय बनी रही। जिस तरह से उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लिया, जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस को घेरा, कई मायनों में इस भाषण के जरिए उन्होंने चुनावी शंखनाद करने का काम किया।
वैसे पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी जिक्र किया। उनकी एक स्पीच की बात करते हुए तो उन्होंने यहां तक दावा कर दिया कि नेहरू भारतीय लोगों को कम अक्ल वाला समझते थे। उन्होंने अपने भाषण के दौरान नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे जरा नेहरू की लाल किले पर दी गई स्पीच को पढ़ने दीजिए। उन्होंने कहा था कि भारतीय लोग ज्यादा मेहनत करने के आदि नहीं होते हैं। जितनी मेहनत यूरोप, रूस और जापान में की जाती है, हम नहीं करते। यहां के समाज इतने विकसित इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने दिमाग लगाया, मेहनत की। इसका मतलब तो ये हुआ कि नेहरू दूसरे देशों को तो सर्टिफिकेट दे रहे थे, लेकिन भारतीयों को नीचा दिखा रहे थे। वे सोचते थे कि देश के लोग आलसी हैं, कम अक्ल वाले हैं। इंदिरा गांधी भी ऐसा ही सोचती थीं।
अब सभी के मन में एक सवाल आ रहा है, पीएम मोदी ने नेहरू के जिस भाषण का जिक्र किया, वो कितना सही था? क्या सही में नेहरू ने कभी ऐसा बोला भी था या बस पीएम मोदी ने निशाना साधने के लिए इस प्रकार का बयान दे दिया? अब यहां ये समझना जरूरी है कि जवाहर लाल नेहरू ने अपने एक भाषण के दौरान ये बयान दिया था, लेकिन सच्चाई ये भी है कि उसको देने का मकसद भारतीय लोगों को नीचा दिखाना नहीं बल्कि एक उदाहरण पेश करना था।
असल में पता ये चला कि जवाहर लाल नेहरू ने साल 1959 की अपनी स्वतंत्रता दिवस वाली स्पीच में इस बात का जिक्र किया था। वे आत्म निर्भर भारत को लेकर अपने विचार रख रहे थे, देश को हर मामले में आत्म निर्भर बनाना चाहते थे। उसी बात का जिक्र करते हुए उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि सरकार के अधिकारी तो बस मदद करने के लिए होते हैं, लेकिन एक समाज सिर्फ उन्हीं के दम पर विकास नहीं करता है। खुद भी अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है। मैं तो मानता हूं कि सरकार का हस्तक्षेप कम होना चाहिए, लोगों के हाथ में ताकत होनी चाहिए। अपनी मेहनत से ही कोई देश आगे बढ़ता है।
इसके बाद नेहरू ने कुछ उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में ज्यादा मेहनत करने की आदत नहीं है। ये हमारी गलती नहीं है, लेकिन कुछ आदतें बस पड़ जाती हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि हम यूरोप, जापान या चीन जितनी मेहनत नहीं करते। ये समाज इतना आगे इसलिए नहीं बढ़ पाए क्योंकि इन्होंने कोई जादू किया हो, बल्कि अपनी मेहनत और दिमाग के दम पर सबकुछ हुआ। हम भी मेहनत और दिमाग लगाकर आगे बढ़ सकते हैं, कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
अब नेहरू के इस भाषण में उन्होंने ये जरूर कहा कि भारतीयों की आदत ज्यादा मेहनत वाली नहीं रहती, लेकिन उन्होंने असल में एक संदेश देने का काम भी किया था कि मेहनत कर ही कोई देश ज्यादा आगे बढ़ सकता है, वो उन्नति के रास्ते पर चल सकता है।