प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से सिंगापुर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए पीएम मोदी 4 और 5 सितंबर को सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा पर होंगे। प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों देशों के मंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय गोलमेज बैठक के एक पखवाड़े बाद हो रही है।
पीएम मोदी छह साल बाद सिंगापुर पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब सिंगापुर में सरकार बदल गई है और लॉरेन्स वॉन्ग ने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाल ली है। पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब 2025 में दोनों देशों के राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होंगे।
सिंगापुर में पीएम मोदी बिजनेस लीडर्स और कई बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे। सिंगापुर दौरे के दौरान दोनो देशों के बीच कई एमओयू पर हस्ताक्षर होने हैं, जिनमें खाद्य सुरक्षा, एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन और सेमीकंडक्टर शामिल है। इस दौरान साउथ चाइना सी और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत हो सकती है।
6 साल बाद सिंगापुर की यात्रा पर पीएम मोदी
विदेश मंत्रालय के सचिव (ईस्ट) जयदीप मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा छह साल बाद हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अपने सहयोग को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम की सिंगापुर यात्रा व्यापार और निवेश के लिए महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए जरूरी
प्रधानमंत्री मोदी का सिंगापुर दौरा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए जरूरी है। जयदीप मजूमदार ने कहा, “सिंगापुर आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। यह 2023 में 11.77 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ एफडीआई का एक प्रमुख स्रोत रहा था।” उन्होंने कहा कि सिंगापुर दुनिया भर में भारत का छठा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।
भारत-सिंगापुर रिश्ते के अन्य आयाम भी हैं। किसी भी गैर-भारतीय शहर की तुलना में सिंगापुर में आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। सिंगापुर भारतीय राष्ट्रीय सेना का घर था। यह देश भारतीय पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है।
भारत-सिंगापुर रिश्ते
1990 के दशक से सिंगापुर भारत की “लुक ईस्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीति का एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है। भारत ने इस पॉलिसी की शुरुआत नवंबर 2014 में 12वें आसियान-भारत शिखर समिट के दौरान शुरू की थी। इस पॉलिसी का उद्देश्य हिंद महासागर में बढ़ रही समुद्री क्षमता का मुकाबला करना और साउथ चाइना सी और हिंद महासागर में रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना है। साउथ चाइना सी के कुछ हिस्से पर चीन अपना दावा करता है, जिसे लेकर क्षेत्रीय स्तर पर शांति प्रभावित होती रही है। ऐसे में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पीएम मोदी के सिंगापुर के दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।
भारत-आसियान संबंध म्यांमार के कारण दक्षिण एशिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वास्तव में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक पुल का काम करता है। म्यांमार से भारत की निकटता और आसियान के माध्यम से सिंगापुर के उसके साथ जुड़ने का मतलब है कि यह भी भारत-सिंगापुर एजेंडे का हिस्सा होगा।
पिछले कुछ सालों में दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को भी बढ़ाया है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। अगर व्यापार और आर्थिक साझेदारी रिश्ते के केंद्र में है तो नए रास्ते भी खुल रहे हैं।