हरियाणा चुनाव में अप्रत्याशित जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से कांग्रेस पर एक बड़ा हमला किया गया है। प्रधानमंत्री ने दो टूक बोल दिया है कि कांग्रेस समाज को बांटने का काम करती है, उन्होंने जोर देकर कहा है कि हिंदू समाज को बांटने का और उन्हें लड़वाने का काम देश की सबसे पुरानी पार्टी लगातार कर रही है। बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यहां तक कह दिया कि कांग्रेस कभी भी मुस्लिम जातियों की बात नहीं करती, उसका उद्देश्य सिर्फ हिंदुओं को बांटना है।

मोदी का बयान, बंट जाएंगे मुसलमान?

अब पीएम मोदी का यही बयान सियासत में एक बड़ा उबाल लेकर आ गया है। आजाद भारत में अभी तक इस मुद्दे पर कभी भी ज्यादा चर्चा देखने को नहीं मिली। नेताओं ने भी हमेशा हिंदू जातियों का ही जिक्र किया है, किसी को ओबीसी का वोट चाहिए तो कोई किसी दूसरे समुदाय के पीछे पड़ा है, लेकिन बात जब मुस्लिम वोट बैंक की आती है, सभी को एकमुश्त तरीके से अपने पाले में चाहिए।

लेकिन शायद यह नेता और आम जनता भूल चुकी है कि मुस्लिम समाज में भी हिंदुओं की तरह अलग-अलग जातियां हैं, मुस्लिम समाज में भी दलित होते हैं, ओबीसी होते हैं, सवर्ण होते हैं, बस उनका नाम अलग रहता है।

मुस्लिम धर्म में कितनी जातियां?

असल में इस्लाम धर्म को मूल रूप से दो संप्रदाय में बांटा गया है- एक रहता है सुन्नी समाज तो दूसरा कहलाता है शिया समाज। अभी दोनों ही समाज में कुल तीन जातियां मुस्लिम की देखी गई हैं- पहले जाति का नाम है अशरफ, दूसरी जाति का नाम है- अजलाफ, वहीं तीसरी जाति को कहते हैं अरज़ाल।

कांग्रेस को ऐसे ही तेवर नहीं दिखा रहे ‘इंडिया वाले’

अब अशराफ समूह में सैयद, शेख, पठान जैसी जातियां आती हैं, इन्हें ऊंची जाति वाला वर्ग भी कहा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि दूसरे देशों से आकर यह भारत में बसे थे। वही अलजाफ समूह उन जातियों को मिलकर बना है जिन्हें मुसलमानों का मिडिल क्लास कहा जा सकता है। इसमें अंसारी, मंसूरी, राइन, कुरैशी, सिद्दिकी जैसी जातियां शामिल हैं। इसी समाज को पासमांदा भी कहते हैं, यानी कि यह मुसलमानों का ओबीसी वर्ग हैं जिन्हें आरक्षण मिलता है। तीसरा वर्ग अरजाल होता है जो मुस्लिमों में सबसे ज्यादा पिछड़ा है, इसे दलित समाज भी कहा जा सकता है। हवारी, रज्जाक जैसी जातियां अरजाल के अंदर आती हैं।

मुस्लिम में भी दलित-ओबीसी जैसे वर्ग

अब आपको यह जान हैरानी होगी कि मुस्लिमों की यह जातियां भी उसी तरह से बंटी हुई हैं जैसे हिंदू समाज में देखने को मिलता है। देश में अगड़ी जाति वाले मुसलमान 15 फीसदी हैं, हिंदुओं में सवर्णों की संख्या भी इसी के आसपास बैठती है। इसी तरह मध्य वर्ग वाले मुसलमान और ओबीसी श्रेणी वाले मुसलमानों की संख्या 50 फीसदी है। वही सबसे पिछड़े मुसलमानों की आबादी 35 प्रतिशत है। यानी कि देश में 85 फीसदी मुसलमान पिछड़े समाज से आते हैं।

दल कोई भी हो, मुस्लिम वोट कभी बंटने नहीं दिया

अब देश की राजनीति जैसी चल रही है यहां पर हिंदुओं को तो जाति में बांटा जा रहा है, लेकिन मुस्लिमों को नहीं। नेताओं ने ऐसे समीकरण साधे हैं कि वे किसी भी कीमत पर मुस्लिम वोट को बंटने नहीं देते हैं। कई सालों से कांग्रेस, ओवैसी की पार्टी, टीएमसी, सपा जैसे तमाम दल इस समय यही कर रहे हैं। मुस्लिम वोट उन्हें मिलता है, यह सच्चाई है, लेकिन एकमुश्त तरीके से मिल रहा है, यह ज्यादा बड़ी सच्चाई है। उसका कारण यह है कि राजनीति में अभी तक मुस्लिमों को जाति में बांटकर नहीं देखा गया। बीजेपी ने भी कभी इस मुद्दे को इतनी प्रमुखता से नहीं उठाया।

थोड़ा भी मुस्लिम बंटा, कांग्रेस हाफ

लेकिन अब मुस्लिम जाति में बंटने लगे, देश की राजनीति हमेशा के लिए बदल जाएगी। एक उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए कांग्रेस को अभी 80 फीसदी मुस्लिम वोट मिल रहा है, बाकी वोट क्षेत्रीय पार्टियों को जा रहा है। लेकिन अगर इन्हीं मुस्लिमों को जाति में बांट दिया गया, उस स्थिति में पूरी संभावना है कि एक जाति कांग्रेस को वोट देगी, दूसरी जाति हो सकता है किसी दूसरे दल को वोट दे जाए। यानी कि जो अभी तक 80 फीसदी एकमुश्त वोट मिल रहा था, वो गिरकर 50-60% पर पहुंच जाए।

अब जिस देश में एक वोट से भी सरकारें गिर जाती हैं, वहां इतनी बड़ी गिरावट तो कई समीकरण बदल सकती हैं। यह चिंता कांग्रेस को भी रहती है, इसी वजह से मुस्लिमों की जाति को कभी मुद्दे बनने नहीं दिया जाता। वही दूसरी तरफ तय रणनीति के तहत हिंदुओं को बांटा जाता है क्योंकि उससे बीजेपी को सीधा नुकसान रहता है। कई राज्यों के वोटिंग ट्रेंड बताते हैं कि बीजेपी को हिंदुओं का एकतरफा वोट कभी नहीं मिल पाता है, लेकिन कांग्रेस को मुस्लिमों को मिल जाता है।

ऐसे में अगर पीएम मोदी अब मुस्लिम जातियों की बात कर रहे हैं, इसे एक बड़े मास्टर स्ट्रोक के रूप में भी देखा जा सकता है। कहने को बीजेपी को आगे भी मुस्लिमों का ज्यादा वोट ना मिले, लेकिन अगर कांग्रेस के इस वोटबैंक को ही दूसरी पार्टियों में बांट दिया गया, तब भी फायदा बीजेपी को ही होने वाला है। इसी वजह से हरियाणा नतीजों के बाद यह मुद्दा उठाया गया। वैसे हरियाणा चुनाव के नतीजों ने भी इस ट्रेंड पर मुहर लगा दी है। असल में राज्य की मुस्लिम बाहुल सीटों पर जिस तरह से एकतरफा वोट कांग्रेस को पड़ा है, यह बताने के लिए काफी है कि अभी मुस्लिम समाज को जातियों में नहीं बांटा जा रहा है।

हरियाणा चुनाव से मुस्लिमों को लेकर क्या पता चला?

वही दूसरी तरफ हरियाणा के लोहारू क्षेत्र में 99.4 फीसदी हिंदू हैं, लेकिन वहां पर कांग्रेस की जीत का अंतर मात्र 792 वोट रहा, कारण वहीं- हिंदू वोट बंट गए। लेकिन जब फिरोजपुर झिरका सीट देखते हैं, वहां 80 फीसदी मुसलमान हैं और कांग्रेस ने 98 हजार वोटों से वोट जीत ली। इससे पता चलता है कि मुस्लिमों का एकतरफा वोट किसी सीट पर कितना असर डाल देता है। लेकिन यही अगर मुस्लिम का वोट INLD, दुष्यंत की पार्टी और आप में बंट जाता, उसकी अलग-अलग जातियां हो जाती, या तो कांग्रेस की जीत का अंतर कम होता या वो हार भी सकती थी।

अब अभी तक तो बीजेपी इस प्रयास में सफल नहीं हुई है, लेकिन अगर हिंदू वोट जातियों में बंट सकता है, मुस्लिम समाज को लेकर इस बात को नकारा नहीं जा सकता। बड़ी बात यह भी है कि मुस्लिम समाज में भी काफी भेदभाव रहता है, वहां भी पिछड़ों को कई हक नहीं मिल पाते, वहां भी ऊंची जाति वाले कई बार मनमानी कर जाते हैं। ऐसे में अगर यह बड़ा मुद्दा बने, एकमुश्त मुस्लिम वोट पाने वाली पार्टियों की टेंशन काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।