Modi Lok Sabha Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपना एक लंबा संबोधन दिया जिसकी अवधि 1 घंटा 50 मिनट के करीब रही। अब इतनी देर तक बोले पीएम ने कई मुद्दों पर रोशनी डाली। लेकिन उनके इस पूरे भाषण की एक बात खास रही, उन्होंने जिक्र जरूर संविधान का किया, लेकिन केंद्र में पूरे समय गांधी परिवार रहा। वो गांधी परिवार जिस पर पीएम मोदी के सियासी हमले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं।
विपक्ष का कैसे हथियार बना संविधान बचाओ नारा?
एक सवाल तो सभी के मन में उठ रहा है- लोकसभा भाषण से पीएम मोदी विपक्ष के नेरेटिव को कितना काउंटर कर पाए हैं? अब सबसे पहले विपक्ष के उस नेरेटिव को समझना जरूरी है जिसके दम पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोक दिया गया था। असल में लोकसभा चुनाव के दौरान शायद ही कोई रैली रही होगी जहां पर राहुल गांधी ने ‘संविधान बचाओ’ का नारा दिया था।
कैसे निकली विपक्षी नेरेटिव की हवा?
बाद में यही नारा पूरे इंडिया गठबंधन का एक सियासी दांव बन गया और इसी के सहारे गरीब, पिछड़ों, दलितों का भरपूर वोट हासिल किया गया। लेकिन जब लग रहा था कि अभी तक बीजेपी के पास विपक्ष के इस नेरेटिव का कोई तोड़ नहीं है, पीएम मोदी सियासी समाधान के साथ हाजिर हो चुके हैं। असल में बात पीएम मोदी ने भी संविधान बचाने की है, लेकिन उनका एकदम अलग है। उन्होंने इतिहास के पन्नों के सहारे कांग्रेस और खास तौर पर गांधी परिवार के उन ‘कारनामों’ का जिक्र किया है जिसके दम पर उन्हें विश्वास है कि पूरे विपक्ष की हवा निकल जाएगी।
विपक्ष के आरोप से बचे नहीं, सामना किया
अब पीएम मोदी ने अपने भाषण में तीन मौकों पर जरूर बोला है कि कांग्रेस के मुंह पर खून लगा हुआ है क्योंकि उसने संविधान को बदलने का प्रयास किया। पीएम मोदी का लॉजिक है कि जो विपक्ष संविधान बचाने की बात कर रहा है, उसके खुद के कई साथी ऐसे विवाद में फंस चुके हैं कि जिस वजह से उनका संविधान के बारे में बोलना भी ठीक नहीं है। बड़ी बात यह है कि अभी तक बीजेपी ने इस तरह से इस नेरेटिव पर जवाब देने की कोशिश नहीं की थी। अगर विपक्ष संविधान बचाने की बात कर रहा था तो बीजेपी दूसरी तरफ से हिंदू एकता, बंटेंगे तो कटेंगे, एक है तो सेफ हैं जैसे मुद्दों का जिक्र कर रही थी। यानी कि विपक्ष के आरोपों से बचने का पूरा प्रयास दिख रहा था।
राहुल को अहंकारी बताकर कैसे इंडिया को फंसा गए मोदी?
लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ऐसा पहली बार देखने को मिला जब पीएम मोदी ने आक्रमक बैटिंग करते हुए विपक्ष के ही इस नेरेटिव की हवा निकालने की कोशिश रही। उसका एक हाइलाइट मोमेंट वो रहा जब बिना नाम लिए उन्होंने राहुल गांधी को सबसे बड़ा अहंकारी बता दिया। वो भी इसलिए क्योंकि राहुल ने यूपीए सरकार के दौरान कैबिनेट के एक प्रस्ताव को मीडिया के सामने फाड़ दिया था। अब उस समय भी इसे मनमोहन सिंह के अपमान से जोड़कर देखा गया था, आज बस पीएम मोदी ने इसे संविधान से जोड़ने का काम कर दिया। यानी कि बदले नरजिए ने बीजेपी को विपक्ष के नेरेटिव से लड़ने की ताकत दे दी।
सिर्फ एक मुद्दे पर फोकस, सिर्फ एक परिवार पर निशाना
पीएम मोदी के पिछले भाषणों पर अगर गौर किया जाए तो वे लगातार मुद्दे बदलते रहते हैं। दूसरे शब्दों में बोलें तो वे कभी भी एक तीर से ज्यादा निशाना साधने में विश्वास नहीं रखते क्योंकि उनकी तरकश में सभी विपक्षी नेताओं के लिए अलग-अलग सियासी तीर मौजूद रहते हैं। लेकिन इस बार बड़ा परिवर्तन देखने को मिला, ऐसा इसलिए क्योंकि 110 मिनट के भाषण के दौरान पीएम मोदी ने सिर्फ और सिर्फ संविधान पर ही बात की, वहां भी उनका पूरा फोकस सिर्फ यह बताने में रहा कि किस तरह से कांग्रेस ने संविधान को खत्म करने का काम किया।
कांग्रेस के ‘पाप’ विपक्ष का बनेंगे बोझ?
अगर पीएम की शब्दावली को ध्यान से देखें तो वहां भी उन्होंने ऐसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया है जिनका आमतौर पर लोकसभा में तो जिक्र नहीं होता। कभी उन्होंने कांग्रेस के मुंह पर खून लगा है जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया तो कभी उन्होंने इमरजेंसी को कांग्रेस का सबसे बड़ा पाप घोषित कर दिया। बड़ी बात तो यह रही कि पीएम ने इस बार इंडिया गठबंधन में भी फूट डालने की कोशिश की। इमरजेंसी का जिक्र करते वक्त उन्होंने कह दिया कि इस सदन में उस साइड के भी कई ऐसे नेता बैठे हैं जिनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इंदिरा सरकार ने एक जमाने में जेल में डलवा दिया था।
संविधान बदल देंगे नेरेटिव का खोज लिया जवाब
वैसे इसे रणनीति माना जाए या फिर विपक्ष का बनाया दबाव, पीएम मोदी ने पहली बार इस बात को स्वीकार किया कि उनकी सरकार ने भी संविधान में कई संशोधन किए हैं। अब विपक्ष इसे अपनी जीत बताने ही वाला था कि फिर पीएम ने बड़ा खेल कर दिया। उन्होंने अपनी सरकार का बचाव करते हुए दो टूक कहा कि उन्होंने समाज की भलाई के लिए संशोधन किए थे। ओबीसी को आरक्षण देने के लिए संविधान का इस्तेमाल हुआ। माना जा रहा है कि इस तरह से सरकार ने सिर्फ खुद संविधान बचाओ नेरेटिव से नहीं बचाया है बल्कि साथ-साथ आरक्षण खत्म करने के लग रहे आरोपों से भी मुक्ति मिली है।
अब जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने नेरेटिव को विपक्ष के खिलाफ सेट कर दिया है, जिस संविधान को ढाल बनाकर इंडिया गठबंधन राजनीति कर रहा था, उसे फिर एक कदम पीछे खींचकर अपनी रणनीति पर काम करना पड़ेगा। वरना कांग्रेस पर जिस तरह से अब हमले होने वाले हैं, उस सफाई देना भी मुश्किल साबित हो सकता है। वैसे इस समय मुश्किल तो राहुल गांधी के लिए अपने एक बयान से बचना भी है। उन्होंने लोकसभा में सावरकर और देश के संविधान के बारे में बड़ा बयान दिया है। उस बयान के बाद से ही चर्चा चल रही है- सावरकर का संविधान कैसा होता? जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें