प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लिया है। उनकी तरफ से वहां पर संबोधन के दौरान कई अहम बातें बताई गई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि आने वाले सालों में भारत ही पूरी दुनिया का ग्रोथ इंजन होने जा रहा है। उनकी तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि भारत ने पिछले कुछ सालों में हर क्षेत्र में जबरदस्त विकास किया है।
विदेशी धरती से भारत का गुणगान
अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस बार के बजट में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर के 120 करोड़ डॉलर का प्रावधान रखा है। इससे हम नए भारत की नींव रख रहे हैं। हर क्षेत्र में तेज गति से बदलाव आ रहा है। आज भारत में 10 हजार किलोमीटर की रफ्तार से हाईवे बन रहे हैं। पिछले 9 वर्षों में एयरपोर्ट की संख्या दोगुनी हुई है। उनकी तरफ इस बात पर भी जोर दिया गया कि वर्तमान सरकार ने रेड टेप को काटकर रेड कार्पेट बिछा दिया है।
आर्थिक सुधारों का जिक्र
इस बयान से पीएम मोदी ने साफ संदेश दे दिया कि अब दुनिया में भारत से बेहतर निवेश वाला कोई विकल्प नहीं है। संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने ये भी कहा कि इस समय जब पूरी दुनिया में उथल-पुथल चल रही है, कई देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है, भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनने जा रहा है। भारत आने वाले सालों में पूरी दुनिया का ग्रोथ इंजन बनने का काम करेगा। पीएम मोदी के मुताबिक भारत मुश्किल समय में इतनी तेजी से आगे इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि उसने आपदा को भी अवसर में बदला और समय रहते कई बड़े आर्थिक सुधार किए।
क्या होता है ये ब्रिक्स?
वैसे जिस ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी ने हिस्सा लिया है, वो अपने आप में काफी मायने रखता है। असल में ब्रिक्स पांच सबसे तेज अर्थ्यवस्थाओं वाले देशों का एक ग्रुप है। इसके नाम के जितने भी अक्षर हैं, वो सभी किसी ना किसी देश के नाम पर हैं। BRICS में B से ब्राजील, R से रूस, I से इंडिया, C से चीन और S से साउथ अफ्रीका रहता है। साल 2001 में सबसे पहले एक रिसर्च पेपर में BRIC शब्द का इस्तेमाल किया गया था। उस समय S अक्षर उसमें नहीं लगता क्योंकि साउथ अफ्रीका तब तक समिट के साथ नहीं जुड़ा था। साल 2010 में जब साउथ अफ्रीका भी साथ गया तो इसे BRICS नाम दिया गया।
भारत के लिहाज ये समिट इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात संभव है। कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन सीमा विवाद पर जिस तरह से दोनों सेनाओं द्वारा लगातार चर्चा की गई, कयास लगे कि अब दोनों नेता भी मुलाकात कर सकते हैं।