प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित नहीं करेंगे। सोमवार शाम पांच बजे देश के तमाम बड़े मीडिया चैनल्स पर खबर थी कि पीएम नरेंद्र मोदी देश को संबोधित कर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार शाम ट्वीट कर डीआरडीओ वैज्ञानिकों को बधाई दी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है। मिशन दिव्यास्त्र मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट है।

क्या है MIRV तकनीक?

MIRV प्रौद्योगिकी के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है और इन हथियारों से अलग-अलग लक्ष्यों को भेदा जा सकता है। इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि इसे सड़क के माध्यम से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इससे पहले की अग्नि मिसाइलों में यह सुविधा नहीं थी।

अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया टेस्ट

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओडिशा के APJ अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण की गई मिसाइल निर्धारित मापदंडों पर खरी उतरी है। सूत्रों ने कहा कि  MIRV यह सुनिश्चित करता है कि एक मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई हथियार तैनात कर सकती है।

सूत्रों ने कहा कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। यह सुनिश्चित करेगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई आयुध तैनात कर सके। उन्होंने बताया कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ परियोजना की निदेशक एक महिला हैं और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

रक्षा मंत्री ने क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेश निर्मित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण ‘मिशन दिव्यास्त्र’ का आज सफल परीक्षण किया और वह उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री’ क्षमता है।” उन्होंने कहा, “इस असाधारण सफलता के लिए हमारे वैज्ञानिकों और पूरी टीम को बधाई। भारत को उन पर गर्व है।”

जानिए अग्नि-5 की क्षमता

यह हथियार प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसर पैकेज से लैस है। यह क्षमता भारत के बढ़ते प्रौद्योगिकीय कौशल का भी प्रतीक है। अग्नि-5 की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है और इसे देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है।

यह मिसाइल चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक सीमा के तहत ला सकती है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किमी से 3,500 किमी तक है और पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमाओं के भीतर और बाहर दुश्मन देशों की बैलिस्टिक मिसाइल को भेदने की क्षमताएं विकसित कर रहा है। (इनपुट – भाषा)