PM Modi SCO Summit: ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच भारत और चीन लगातार करीब आ रहे हैं। भारत दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम बैठक की। इसमें द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने से लेकर सीमा पर शांति का उल्लेख किया गया। बैठक के दौरान ही अजीत डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ समिट में शामिल होने के लिए चीन का दौरा करेंगे।
बता दें कि एससीओ समिट के लिए पीएम मोदी गलवान के टकराव के बाद पहली बार चीन दौरे पर होंगे। वांग यी और डोभाल सीमा से जुड़े मुद्दों के लिए दोनों देशों की तरफ से बातचीत के प्रतिनिधि है। जून 2020 में गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़पों और सीमा गतिरोध के बाद बातचीत के लिए डोभाल पिछले साल दिसंबर में चीन गए थे।
दोनों देशों के बीच सुधरे रिश्ते- अजीत डोभाल
वांग यी के साथ बैठक के दौरान अजीत डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में रूस के कज़ान में ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन में मिले थे और एक नया ट्रेंड स्थापित करने में सफल रहे, जिसके बाद हमें बहुत लाभ हुआ और द्विपक्षीय संबंध काफी मज़बूत हुए। उन्होंने आगे कहा कि जो नया माहौल बना है, उससे हमें उन विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद मिली है जिन पर हम काम कर रहे थे।
रूस और चीन दोनों के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा भारत
अजीत डोभाल ने बैठक के दौरान कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि पिछली वार्ता की तरह, यह 24वीं विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता भी उतनी ही सफल होगी। उन्होंने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया और वांग के “व्यक्तिगत प्रयासों” और “परिपक्वता एवं ज़िम्मेदारी की भावना” की सराहना की।
पिछली बार पीएम मोदी से नहीं मिल पाए थे वांग यी
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच कज़ान में हुई मुलाकात के बाद किसी चीनी मंत्री की यह पहली यात्रा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दो टकराव वाले बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग फिर से शुरू करने के लिए मंच तैयार किया गया था। वांग मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे। अप्रैल 2022 में अपनी पिछली यात्रा के दौरान उनकी मोदी से मुलाकात नहीं हो पाई थी।
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मीटिंग में सीमा विवाद और शांति पर क्या बोले वांग यी?
दूसरी ओर वांग यी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमने जो असफलताएं झेली हैं, वे हमारे दोनों देशों के लोगों के हित में नहीं हैं। कज़ान की बैठक ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों के विकास की दिशा तय की और सीमा विवाद के उचित समाधान के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया। पिछले साल के अंत में हमारी 23वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता बहुत अच्छी रही। उस बैठक में, हम असहमतियों के प्रबंधन, स्थिर सीमाओं और समझौते की दिशा में आगे बढ़ने पर एक नई और महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे।
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क्यों अहम है वांग यी भारत दौरा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर लगातार अलग-अलग देशों पर दबाव बनाते रहे हैं। चीन से टैरिफ पर लंबे टकराव के बाद ट्रंप ने भारत पर 7 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इसके बाद रूस से कच्चा तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत से नाराजगी जाहिर करते हुए 27 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात भी कही है। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर जारी बातचीत अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
दूसरी ओर चीनी मीडिया से लेकर सरकार तक, भारत पर लगने वाले अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ की आलोचना कर चुके हैं। दोनों ही देश ट्रंप के टैरिफ मुद्दे पर अमेरिका के साथ तनाव का सामना कर रहे हैं। ऐसे वक्त में वांग यी का भारत दौरे पर भारत आना और फिर पीएम मोदी के एससीओ समिट में चीन जाने की पुष्टि होना नए अंतरराष्ट्रीय समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है।
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