प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुुरुवार को लोकसभा में अपने संबोधन में भारत पाकिस्तान विभाजन, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया। पीएम ने इस दौरान पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में किए गए फैसलों और समझौतों का जिक्र किया। पीएम ने करीब पौने दो घंटे तक संबोधन दिया और 23 बार पंडित नेहरू का नाम लिया।
इस पर सोशल मीडिया यूजर्स ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं हैं। किसी ने कहा कि पीएम मोदी 56 साल बाद भी नेहरू को याद कर रहे हैं तो किसी ने सवाल किया कि बजट सेशन में प्रधानमंत्री मोदी इकोनॉमी पर कितना बोले।
एक यूजर ने कहा ‘लोकसभा में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 23 बार नेहरू का नाम लिया। नेहरु 1964 तक प्रधानमंत्री रहे हैं, मोदी जी उन्हें 2020 में 56 साल बाद भी इतना याद कर रहे हैं।’ एक यूजर कहते हैं ‘बजट सेशन में इकोनॉमी पर कितना बोले प्रधानमंत्री?’
एक अन्य यूजर ने कहा ‘इकोनॉमी पर जितनी बात होना चाहिए उतनी हो नहीं पा रही।’ एक यूजर कहते हैं ‘नेहरू जी के पैरो की धूल भी नहीं ये मोदी।’
एक यूजर कहते हैं ‘नेहरू सदा याद किये याद किये जायेंगे किंतु ये खुद किस लिए याद किए जायेंगे? सोचने की बात है।’ एक यूजर कहते हैं ‘अब सब नॉर्मल लग रहा है। बहुत दिन हो गये थे मोदीजी ने नेहरू जी को कोसा नहीं था…!!’
बता दें कि अपने संबोधन में नेहरू का नाम लिए बगैर पीएम ने कहा था कि विभाजन के समय किसी ने दो देशों के बीच लकीर खींच दी थी। उस समय किसी को प्रधानमंत्री बनना था इसलिए दो देशों की लकीर खींच दी गई।
संधोधित नागरिकता कानून पर कांग्रेस के विरोध पर उन्होंने कहा ‘1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ। भारत और पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ये समझौता हुआ था। समझौते का आधार पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यव्हार नहीं होगा। नेहरु जी इतने बड़े विचारक थे, उन्होंने ‘वहां के अल्पसंख्यकों’ की जगह, ‘वहां के सारे नागरिक’ का उपयोग क्यों नहीं किया? जो बात हम आज बता रहे हैं, वही बात नेहरु जी ने भी कही थी।’