Netaji Subhash Chandra Bose Statue: राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक इंडिया गेट पर 8 सितंबर 2022 गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा अनावरण किए जाने पर उनकी बेटी अनीता बोस फाफ ने एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि नेताजी की प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी 8 सितंबर को ही क्यों कर रहे है। इसका अनावरण राष्ट्रीय पर्व या नेताजी के किसी महत्वपूर्ण दिन को किया जाना चाहिए था।

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि प्रतिमा के अनावरण के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है। हालांकि वह पीएम मोदी से मिलना चाहती थीं, लेकिन उन्हें पीएमओ से मिलने का समय नहीं मिल सका है। उन्होंने बताया कि नेताजी की अस्थियों को जापान से भारत लाने के लिए पीएमओ को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इसका भी कोई जवाब नहीं मिला है। हालांकि प्रधानमंत्री काफी व्यस्त रहते हैं, इसलिए जवाब नहीं मिल सका है।

कार्यक्रम के बहिष्कार की बात को बताया अफवाह

उन्होंने इन अफवाहों का खंडन किया कि उन्होंने या उनका परिवार नेताजी के प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। कहा कि इस तरह की अफवाहें गलत बात है। इससे पहले उन्होंने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा था कि टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में नेताजी के अवशेषों को एक ‘अस्थायी’ जगह पर रखा गया है। वहां देखभाल करने वाली तीन पीढ़ियां गुजर गई हैं। इसलिए अब इन अवशेषों को वापस लाया जाना चाहिए।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण दिल्ली के इंडिया गेट पर 8 सितंबर को पीएम मोदी करेंगे। 28 फीट ऊंची ग्रेनाइट से बनी इस प्रतिमा को ओडिशा के प्रसिद्ध मूर्तिकार अद्वैत गडनायक ने तैयार किया है। इसे इंडिया गेट पर बनी छतरी में लगाया जाएगा। इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को हटाकर नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय कर दिया गया है।

26,000 घंटे के कलात्‍मक प्रयासों से तैयार हुई प्रतिमा

प्रतिमा 280 मीट्रिक टन वजन वाले विशाल ग्रेनाइट पत्‍थर पर उकेरा गया है। इस प्रतिमा को 26,000 घंटे के अथक कलात्‍मक प्रयासों से अखंड ग्रेनाइट को तराश कर 65 मीट्रिक टन वजन की इस प्रतिमा को तैयार किया गया है। काले रंग के ग्रेनाइट पत्‍थर से निर्मित 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया गेट के समीप एक छतरी के नीचे स्‍थापित की जाएगी। संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों को अभी संदेह है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को नहीं हुई थी, ऐसे में उनके अवशेषों का डीएनए टेस्ट कराकर इस संदेह को हमेशा हमेशा के लिए खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेनकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार इस तरह के परीक्षण के लिए सहमत है।