अक्सर अपने शहर\गांव\कस्बे को लेकर हम कहते हैं कि मेरे शहर ने मुझे बनाया है या मैं जो कुछ भी हूं उसमे मेरी मिट्टी का योगदान है। लेकिन गुजरात का एक कस्बा ऐसा भी है जिसके बनने की कहानी हमारे इस कहने से थोड़ी उलट है। एक ऐसा कस्बा जिसे पहचान उसके एक बच्चे ने दी। जी हां, गुजरात के वडनगर के साथ कुछ ऐसी ही बात जुड़ी है।
इस कस्बे को लेकर पुराने समय के कई लोग याद करते हुए बताते हैं कि यह उन भारतीय गाँवों में से एक हुआ करता था, जहाँ एक हाई स्कूल तो था लेकिन कोई ठीक-ठाक सड़क या नल का पानी नहीं था। जहां बिजली के आने-जाने का वक्त तय नहीं था। लेकिन हालात बदले और ऐसे बदले की वडनगर का नाम प्रसिद्ध हो गया। इसके पीछे की वजह वहीं बच्चा था जिसका ज़िक्र हम पहले कर चुके हैं।
उसका नाम नरेंद्र मोदी था। फिलहाल वह इस देश का प्रधानमंत्री है। जब राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी नरेंद्र मोदी ने संभाली तो वडनगर का हाल ही बदल गया। कच्ची सड़कों वाला यह कस्बा अब एक नगर पालिका है। जिसमें कई परियोजनाएं हैं, संस्थान हैं, सीमेंट वाली सड़के हैं एक रिंग रोड है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरजमीं के दौरे पर थे और उन्होने एक नई योजना दी, जिस स्कूल में मोदी गए थे, उसे ‘प्रेरणा परिसर’ के तौर पर विकसित का प्लान दिया। योजना यह भी है कि वडनगर को 2040 तक विकास के लिए एक मास्टर प्लान में चार क्षेत्रों में बांटा जाएगा।
2500 साल पुरानी सभ्यता से जुड़ाव
जब 2001 में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने तो इस क्षेत्र पर खास ध्यान दिया जाने लगा। लगभग चार साल बाद गुजरात राज्य पुरातत्व विभाग ने क्षेत्र में खुदाई शुरू की। इससे पहले 1953 के आसपास की खुदाई में करीब 2,500 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले थे। 2005 और 2013 के बीच हुई नई खुदाई ने वडनगर के बौद्ध लिंक की पुष्टि की थी। जिसमें मठों के निशान और सबूत शामिल हैं कि प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इस क्षेत्र का दौरा किया था।
मोदी सरकार ने वडनगर में दो प्रसिद्ध बहनों और प्रतिभाशाली गायकों के नाम पर एक वार्षिक ताना-रीरी संगीत समारोह शुरू किया। कहा जाता है कि उन दोनों बहनों ने मुगल सम्राट अकबर के दरबार में गाने के बजाय अपनी जान दे दी थी।
पीएम मोदी का अपने कस्बे से कभी जुड़ाव फीका नहीं पड़ा
पीएम मोदी 2014 में अपने पहले लोकसभा चुनाव में वड़ोदरा और वाराणसी दो जगह से खड़े हुए थे। उस वक्त चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर वह अपने बचपन से जुड़े किस्से और वडनगर का ज़िक्र करते दिखाई दिए थे कि कैसे इस कस्बे से उन्होने यहां तक सफर तय किया है। जहां उन्होने दोनों सीटों से जीतने के बाद वड़ोदरा छोड़ दिया था वहीं बीजेपी सरकार और पीएम ने वडनगर की कभी भी अनदेखी नहीं की. पीएम के रूप में मोदी की मेजबानी करने वाले पहले मेहमानों में चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग थे, और दोनों ने अहमदाबाद में उन बौद्ध संबंधों के लिए एक साथ समय बिताया था। इसी तरह मोदी ने 2017 में गुजरात में जापानी पीएम शिंजो आबे की मेजबानी की थी।
2016 में वडनगर को मेडिकल कॉलेज मिला। 2020 में एक सरकारी साइंस कॉलेज मिला। 2021 में मोदी ने खुद वडनगर रेलवे स्टेशन पर ठहराव के साथ मेहसाणा में गांधीनगर से वरेथा तक एक मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन का उद्घाटन किया। एक ब्रॉड गेज लाइन वडनगर को अब देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है।