डोकलाम में चीनी सेना (पीएलए) के साथ 2020 के गतिरोध के दौरान भारतीय सेना को बल प्रयोग करने की मंजूरी पूरी तत्परता के साथ प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की ओर से दी गयी थी और भविष्य में भी देशहित में ऐसे फैसले लेने पड़ते तो सरकार जरुर लेगी। इस बात का खुलासा नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री पर लिखी पुस्तक में किया है।

डोभाल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि “सभी मौजूदा सीमा समझौते के विपरीत, महामारी की आड़ में कुछ विरोधी ताकतों ने हमारे कुछ प्रमुख हितों को चुनौती देने का प्रयास किया था, जिसका जवाब हमें ताकत के साथ देना जरुरी था। इस कार्य के लिए सेना को देश के शीर्ष नेतृत्व की ओर की मंजूरी दी गई थी। इसने सेना न्यूनतम सामरिक स्तर पर कार्रवाई की स्वतंत्रता को अधिकृत किया है। यदि देश के हित फिर से कभी दांव पर लगे तो कुछ का प्रयोग किया गया है कुछ का प्रयोग किया जाएगा”

डोभाल ने बताया कि पीएम मोदी के विश्व के नेताओं के साथ निजी समीकरण स्थापति करने का प्रयास किया है, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम शामिल है, जिस कारण से कई संकटों को समाधान करने में सफलता मिली है।

उन्होंने आगे G20 समिट के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच हुई एक मुलाकात के बारे में बताया। जब डोकलाम विवाद सभी शांतिपूर्ण  विकल्पों को अपनाया जा चुका था, तब पीएम मोदी ने इसकी कमान खुद अपने हाथ में ली। जर्मनी में G20 समिट के बाद पीएम मोदी खुद चलकर चीनी राष्ट्रपति शी से मिलने गए। मैं खुद ये देखकर हैरान रह गया जब दोनों राष्ट्राध्यक्ष तुरंत इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए राजी हो गए।

बता दें, 2017 में भारत चीन के बीच डोकलाम विवाद करीब 73 दिन तक चला था। इसकी शुरुआत चीन की ओर से भारत- भूटान-चीन के ट्राई –जंक्शन पॉइंट पर सड़क बनाने को लेकर हुई थी।

डोभाल की पुस्तक Modi @ 20: Dreams Meet Delivery को बुधवार को लॉन्च किया गया है। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एस जयशंकर भी मौजूद थे।