भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से अपने भाषण के दौरान बड़ी गलती की है। उन्होंने सीताराम केसरी को ‘दलित’ बता दिया और कहा कि सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें उठाकर बाहर फेंक दिया। जबकि सीतराम केसरी ‘दलित’ नहीं थे, बल्कि पिछड़े समाज (बनिया) से थे। वे बिहार की राजधानी पटना से सटे दानापुर के रहने वाले थे। पीएम ने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कहा, “मैंने कांग्रेस को चुनौती दी थी। मैंने उनसे कहा कि नेहरू जी की मेहरबानी है कि चायवाला प्रधानमंत्री बन गया। ये क्रेडिट लेने के लिए ऐसी-ऐसी चीजें खोज के ले आते हैं। अगर उन्होंने इतनी उदार परंपरा स्थापित की है, इतने उदार लोकतांत्रिक मूल्यों से वे समर्पित हैं, तो मैंने कहा था कि पांच साल के लिए इस परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष बना कर के देखें।”
सुनें छिंदवाड़ा में क्या-क्या बालें पीएम मोदी
Make a person outside the Nehru-Gandhi the Congress Party President for five years and I will agree that Pandit Nehru made a ‘Chaiwallah’ the PM.
India has not forgotten how a stalwart like Sitaram Kesri Ji was treated by one family. pic.twitter.com/f4HC0XJii7
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2018
पीएम मोदी ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री की बात छोड़ो, सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को कांग्रेस का अध्यक्ष बना कर के देखें। इसके बाद उनके एक राज दरबारी राग दरबारी लेकर मैदान में आ गए। उन्होंने खाता खोल दिया कि ये बनें थे, वो बनें थे। लेकिन ये मेरे सवाल का जबाव नहीं है। मेरा सवाल है कि पांच साल के लिए इस परिवार के बाहर के एक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाकर के देख लीजिए। देश को पता है कि सीताराम केसरी, दलित, पीडि़त और शोषित समाज से आए हुए व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष पद से कैसे हटाया गया? कैसे बाथरूम में बंद कर दिया गया था? कैसे दरवाजे से निकालकर के उठाकर के फुटपाथ पर फेंक दिया गया था? इसके बाद मैडम सोनिया जी को बैठा दिया गया था।”
मोदी ने कहा, “ये इतिहास हिंदुस्तान भली-भांति जानता है। दलित हो, पीडि़त हो, वंचित हो, पिछड़ा हो, अगर वो कांग्रेस अध्यक्ष बन भी गया और उनकी मजबूरी में बना था। उसको भी वे दो साल झेल नहीं पाए। स्वीकार नहीं कर पाए। सम्मान की बात तो जाने दीजिए। वे कैसे पांच साल के लिए इस परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बना सकते हैं। लेकिन झूठ बोलना, सही सवालों के जवाब नहीं देना, उल्टी-पुल्टी बातें कर के गुमराह करना। उनके राग-दरबारी भी कभी सवाल पूछने की हिम्मत नहीं करते हैं क्योंकि नमक भी तो कभी-कभी खाया होता है।”