प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह को संबोधित किया। संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि विश्वभारती की सौ वर्ष की यह यात्रा बहुत विशेष है।

पीएम मोदी ने कहा कि यह माँ भारती के लिए गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर  के चिंतन , दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। साथ ही नरेन्द्र मोदी ने गुरुदेव और गुजरात का संबंध भी बताया। विश्व भारती के छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था , उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला यह एक तरह से आराध्य स्थल है। पीएम मोदी ने अभी बीते मंगलवार को ही अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में भी हिस्सा लिया था। 

साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व भारती से निकले सन्देश को पूरे विश्व में पहुंचा रहा है। इस विश्वविद्यालय ने अनेकों विश्व प्रतिष्ठित गीतकार संगीतकार कलाकार साहित्यकार अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक और समाजशास्त्री दिए हैं। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के राष्ट्रवाद के विचारों पर बात की।

पीए मोदी ने कहा कि  कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी। ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। इन शिक्षण संस्थाओं ने भारत की आज़ादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलन को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी, नई ऊंचाई दी।

उन्होंने कहा कि भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए,  ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मज़बूती दी और कर्म आंदोलन ने हमें अपने हक के लिए लड़ाई लड़ने का हौसला और साहस दिया। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद छात्रों को कहा कि आप लोगों को गुरुदेव का सबसे प्रेरणादायी मंत्र तो याद ही होगा।

“जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐसे तबे एकला चलो रे” यानी कोई साथ आए या न आए लेकिन अगर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है तो अकेले चलना भी पड़े तो चल पड़िए। साथ ही नरेन्द्र मोदी ने छात्रों को एक टास्क भी दिया . उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना महामारी के कारण पौष मेला नहीं लग पाया। इसलिए आप लोग पौष मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें और कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियां ऑनलाइन बेची जा सके।

आपको बता दूँ कि विश्व भारती यूनिवर्सिटी की स्थापना 1921 में गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने की थी। यह देश का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय है। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे और उनका नाम बंगाल की प्रमुख हस्तियों में गिना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल रहे।