स्टार्टअप को लेकर दिए गए एक बयान ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को राजनीतिक बवंडर के केंद्र में ला खड़ा किया है। स्टार्टअप महाकुंभ में उनके मुंह से निकला एक शब्द—‘दुकानदारी’—अब चर्चा और विरोध का कारण बन गया है। इस एक शब्द पर विपक्ष आगबबूला है, तो स्टार्टअप जगत में भी नाराजगी की लहर है।

क्या था वो बयान जिसने हंगामा खड़ा कर दिया?

दरअसल, गोयल ने हाल ही में स्टार्टअप्स के बिजनेस मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा था, “क्या हमें आइसक्रीम या चिप्स बनाना है? दुकानदारी ही करना है?” उनका इशारा था कि भारत के युवा स्टार्टअप्स केवल डिलीवरी ऐप, आइसक्रीम, कुकीज़ और इसी तरह की चीजों पर केंद्रित हैं, जबकि चीन जैसे देश एआई, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसी बड़ी तकनीकों में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि मंत्री का उद्देश्य था कि युवा उद्यमी त्वरित-फायदे की सोच से बाहर निकलें और डीप-टेक नवाचार की ओर बढ़ें, लेकिन ‘दुकानदारी’ शब्द ने सबको चुभ गया।

विपक्ष ने भी किया पलटवार: शब्दों से सियासत

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने गोयल के बयान को स्टार्टअप्स का अपमान बताते हुए तीखा हमला बोला। कांग्रेस ने तो सीधे कहा कि मंत्री की सोच ही स्टार्टअप्स को कमजोर करने वाली है। सोशल मीडिया पर भी उनके बयान की क्लिप जमकर वायरल हुई, जिसमें वह ‘दुकानदारी’ शब्द का उपयोग करते हुए दिखते हैं।

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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री खुद उन उद्यमियों को नीचा दिखा रहे हैं, जो अपने दम पर कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नेताओं ने यह भी कहा कि यह सरकार हमेशा युवाओं के हौसले को तोड़ने का काम करती है।

विवाद बढ़ने पर मंत्री ने बताया अपना इरादा

विवाद बढ़ने पर गोयल सामने आए और अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उनका इरादा स्टार्टअप्स को छोटा दिखाना नहीं था, बल्कि उन्हें नई ऊंचाइयों की ओर प्रेरित करना था। उन्होंने कहा, “मैंने पूरी स्टार्टअप व्यवस्था का गहन विश्लेषण किया है। मेरा मकसद था कि हमारे युवा सिर्फ रोज़मर्रा की सुविधाओं वाले बिजनेस तक सीमित न रहें, बल्कि एआई, बैटरी टेक्नोलॉजी और डीप-टेक जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ें।”

शार्क टैंक पर भी तंज, लेकिन इशारा किसकी ओर?

अपने भाषण में गोयल ने ‘शार्क टैंक’ जैसे रियलिटी शो में नजर आने वाले जजों पर भी तंज कसते हुए कहा कि कुछ स्टार्टअप अरबपतियों के बच्चे चलाते हैं, जो “फैंसी ग्लूटेन-फ्री आइसक्रीम” और लक्ज़री कुकीज़ बना रहे हैं। हालांकि उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा Boat के सह-संस्थापक अमन गुप्ता की ओर था, जो नो-शुगर आइसक्रीम ब्रांड ‘Go Zero’ में निवेश कर चुके हैं। इस संदर्भ को लेकर भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चाएं हो रही हैं।

गोयल की यह बात कि चीन एआई और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में आगे है, जबकि भारत के स्टार्टअप्स खाने-पीने की चीजों में लगे हैं—कई लोगों को अखर गई। आलोचकों का कहना है कि हर बिजनेस की अपनी अहमियत होती है और हर स्टार्टअप को चीन से तुलना के चश्मे से देखना सही नहीं।

वास्तव में भारत के 1.57 लाख से ज्यादा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न यह साबित करते हैं कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेज़ी से बढ़ रहा है। छोटे और रोज़मर्रा की जरूरतों से जुड़े बिजनेस भी लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं और अर्थव्यवस्था में योगदान कर रहे हैं। ‘दुकानदारी’ शब्द ने न केवल राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि इसने यह भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम अपने युवा उद्यमियों से क्या उम्मीद करते हैं? क्या हर स्टार्टअप को डीप-टेक में ही होना चाहिए? या हर उस कोशिश की कद्र होनी चाहिए जो नवाचार और रोजगार ला रही है?