भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरुरी कदम उठाने के लिए निर्देश दे। याचिका मंगलवार (28 मई, 2019) को भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की। इसमें भाजपा नेता और वकील उपाध्याय ने कहा कि देश में अपराध, बढ़ते प्रदूषण और नौकरियों में कमी की मुख्य वजह अधिक जनसंख्या है। याचिका में जनसंख्या नियंत्रण के लिए न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अगुवाई में राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (NCRWC) की शिफारिशें लागू करने की भी गुजारिश की गई है।

याचिका में भाजपा नेता ने आगे कहा कि NCRWC ने दो साल की कड़ी मेहनत और व्यापाक चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 47A शामिल करने और जनसंख्या कानून बनाने का सुझाव दिया था। संविधान में अभी तक 125 संशोधन हो चुके हैं, सैकड़ों नए कानून भी लागू किए गए मगर जनसंख्या नियंत्रण पर कानून नहीं बना। अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि देश को इस कानून की आज बहुत जररुत है। क्योंकि इस निर्णय से भारत की पचास फीसदी से ज्यादा समस्याएं दूर हो सकती हैं।

उपाध्याय ने याचिका में कोर्ट से यह आदेश देने की भी मांग की कि केंद्र की सरकारी नौकरियों और सब्सिडी के लिए दो बच्चों का नियम बना सकता है। अगर इसका पालन नहीं किया जाता तो मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, निशुल्क आश्रय का अधिकार, निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार वापस लिए जा सकते हैं।

याचिकाकर्ता ने दावा कि सच्चाई तो यह की भारत की जनसंख्या अब चीन से ज्यादा हो गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश की बीस फीसदी आबादी के पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसे लोगों का कोई सरकारी आंकड़ा भी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बिना जनसंख्या नियंत्रण के क्लीन इंडिया और चाइल्ड सुरक्षा जैसी मुहिम कामयाब नहीं होगी।