गुजरात हार्इकोर्ट ने सूरत जिले में शौचालयों के निर्माण में घोटाले के आरोप को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत हर घर में शौचालय बनाने के नाम पर पुराने शौचालयों को नया बताया गया। वहीं कुछ जगहों पर पहले से बने टॉयलेट्स की जगह इनका निर्माण किया गया है।
याचिका सूरत के कनकपुर के रहने वाले दीपक बागुल ने दायर की है। उनका आरोप है कि 2010 के बाद से कोई नया टॉयलेट नहीं बना। 2006 और 2010 के बीच जो टॉयलेट बने उन्हें नया निर्माण बताया गया है। याचिका के समर्थन में उन्होंने आरटीआई से मिले फोटोग्राफ भी संलग्न किए हैं। बागुल के वकील उत्पल पांचाल ने कहा,’कई फोटोज में दिखता है कि टॉयलेट्स को स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल किया गया।’
आरटीआई से मिल जानकारी के अनुसार आदिवासी इलाकों में 423 टॉयलेट बनाए गए लेकिन वहां इतने घर ही नहीं हैं। बागुल ने कहा कि 2006 से 2010 के बीच 355 टॉयलेट बनाए गए। वहीं 2013 से 2015 के बीच 482 टॉयलेट का निर्माण हुआ। हालांकि केवल 185 टॉयलेट के भुगतान की रसीद ही उपलब्ध कराई गई। साथ ही केवल 272 टॉयलेट्स की ही तस्वीरें हैं। बता दें कि टॉयलेट निर्माण पूरा होने के बाद उसकी तस्वीर लेना जरूरी होता है।