इलाहबाद उच्च न्यायालय की बलात्कार के एक मामले में की गई टिप्पणी को लेकर काफी चर्चा हो रही है। दरअसल हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रेम प्रसंग के दौरान बने शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है भले ही शादी से इनकार किसी भी वजह से किया गया हो। कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करते हुए दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ चल रहे मामले को रद्द कर दिया। यह फैसला न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने सुनाया है। 

क्या था मामला? 

यह मामला उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले का है। जहां एक  महिला थाने में एक लड़की ने अपने  प्रेमी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। उसने आरोप लगाए थे कि  2008 में बहन की शादी के दौरान गोरखपुर में वे दोनों मिले थे। इसके बाद लड़का लड़की के परिवार की सहमति से उसके घर आने जाने लगा। दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने लेकिन बाद में लड़के ने शादी से इनकार कर दिया।

लड़के के वकील ने क्या कहा? 

यह मामला जब कोर्ट के सामने आया तो लड़के के वकीन ने कहा कि जिस वक्त दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने उस वक्त लड़की बालिग थी और यह दोनों की सहमति से हुआ। लड़की ने अपनी मर्जी से संबंध बने और इसलिए शादी से इनकार करने पर मुकदमा दर्ज कराया जाना गलत है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने और पुलिस की चार्जशीट को खारिज कर दिया।