भारत ने ड्रैगन को घेरने के लिए कूटनीतिक जाल बिछाना शुरू कर दिया है। इसके लिए भारत ने चीन का दुश्मन माने जाने वाले फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्यात करने का फैसला किया है। यह सौदा करीब 375 मिलियन डॉलर में तय हुआ है। सूत्रों के अनुसार फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस ऑफ़ अवार्ड जारी किया है। जिसके अनुसार अगले सप्ताह अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का उत्पादन करता है। सूत्रों के अनुसार फिलीपींस के साथ हुआ यह सौदा इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे अन्य आसियान देशों के साथ भी इस तरह के और सौदों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। साथ ही चीन की विस्तारवादी नीति और दक्षिणी चीन सागर में ड्रैगन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी यह सौदा काफी अहम है। 

यह सौदा फिलीपींस की नौसेना के लिए किया गया है। माना जा रहा है कि फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल को तटीय इलाकों में तैनात कर सकता है क्योंकि तटीय इलाकों में ही चीन और फिलीपींस के बीच विवाद भी है। माना जा रहा है कि जल्द ही ब्रह्मोस मिसाइल इंडोनेशिया को भी निर्यात किया जा सकता है और इसके लिए बातचीत भी लगभग अंतिम चरण में ही है। आसियान देशों के अलावा यूएई, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों ने भी ब्रह्मोस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।

बता दें कि चीन के रवैये को देखते हुए भारत ने आसियान देशों के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं। हाल के वर्षों ने भारत ने आसियान देशो के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास, मिलिट्री ट्रेनिंग और अब हथियारों की खरीद को बढ़ावा दिया है। भारत ने चीन के आक्रामक व्यवहार को देखते हुए पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के अलावा कई स्थानों पर बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात कर दिया है।    

क्या है ब्रह्मोस मिसाइल 

भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम से तैयार हुई इस मिसाइल को ट्रायड कहा जाता है। क्योंकि यह जल, थल और वायु तीनों से छोड़ा जा सकता है। हालांकि ट्रायड की शक्ति पहले विश्व के प्रमुख शक्तिशाली देशों के पास ही थी। इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल माना जाता है और इसकी रफ़्तार 2.8 मैक यानी ध्वनि की गति के बराबर है। इस मिसाइल की मारक क्षमता करीब 290 किलोमीटर तक है।