Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या को लेकर अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हर बार यह जरूरी नहीं होती है कि कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या के लिए उकसा रहा है, जिसकी वजह से वो सुसाइड कर रहा है। इसके पीछे बेरोजगारी, तंगी, प्यार में निराशा समेत कई कारण हो सकते हैं।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मानव मन एक रहस्य है। किसी व्यक्ति के आत्महत्या से मरने के कई कारण हो सकते हैं। बेंच ने कहा, ‘मानव मन एक पहेली है। मानव मन के रहस्य को उजागर करना लगभग असंभव है। किसी पुरुष या महिला के आत्महत्या करने या प्रयास करने के कई कारण हो सकते हैं।
पीठ ने कहा कि यह शैक्षणिक उपलब्धि हासिल करने में विफलता का मामला हो सकता है, कॉलेज या छात्रावास में दमनकारी वातावरण, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों के लिए बेरोजगारी, वित्तीय कठिनाइयां, प्रेम या विवाह में निराशा, गंभीर या पुरानी बीमारियां, अवसाद आदि हो सकता है। इसलिए आत्महत्या के पीछे उकसाना हमेशा कारण नहीं हो सकता। इसके पीछे का कारण मृतक का आसपास की परिस्थितियां भी हो सकती हैं।’
सुप्रीम कोर्ट 2010 के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए एक व्यक्ति की सजा की पुष्टि की गई थी। घटना 2000 की है।
आरोपी उस महिला का किरायेदार था जिसकी आत्महत्या से मौत हो गई थी। बताया जाता है कि महिला की मौत से कुछ समय पहले आरोपी किरायेदार ने उससे शादी करने की बात कहकर उसे चिढ़ाया था।
जब उसने इनकार कर दिया तो किरायेदार ने कथित तौर पर महिला के परिवार खत्म करने, उसकी बहनों की गरिमा को ठेस पहुंचाने और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। घर पहुंचने पर महिला ने कथित तौर पर जहर खाने और मरने से पहले अपनी बहनों को यह बात बताई। 2004 में एक ट्रायल कोर्ट ने उस व्यक्ति को दोषी ठहराया और इस फैसले की हाई कोर्ट ने पुष्टि की।
दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर फैसला करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पड़ोसियों से ठीक से पूछताछ नहीं की गई थी और ये गवाह अंततः मुकर गए। इसके अलावा, यह नोट किया गया कि महिला द्वारा आत्महत्या से मरने के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया जहर बरामद नहीं किया गया था। शीर्ष अदालत ने माना कि अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।
कोर्ट ने कहा कि हालांकि एक महिला की मौत निश्चित रूप से बहुत दुखद है, यह किसी भी हद तक निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता है कि आत्महत्या साबित हो गई है।