पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की युवा विंग के अध्यक्ष वहीद उर रहमान पारा को आतंकी फंडिंग के एक मामले डेढ़ महीने की हिरासत के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक अदालत ने जमानत दे दी। लेकिन जमानत दिए जाने के तुरंत बाद, पीडीपी नेता को दूसरे मामले में पुलिस ने फिर से दबोचा लिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने शनिवार शाम को जिला जेल, अम्फाला से रिहा होने के तुरंत बाद पारा को हिरासत में ले लिया।
जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) से आदेश मिला था कि पारा को जेल से ही दबोचा लिया जाये। सीआईके उससे श्रीनगर में दर्ज एफआईआर नंबर 31 के संबंध में पूछताछ करना चाहती हैं। अधिकारी ने एफ़आईआर के बारे में डिटेल में नहीं बताया। इस बारे में पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग भी कुछ नहीं बोल रही है। सूत्रों ने बताया कि यह एफआईआर एक आतंकी फंडिंग मामले से संबंधित है।
सूत्रों ने बताया कि यह एक ओपन एफ़आईआर है और इसमें कहीं भी वहीद के नाम का उल्लेख नहीं है। एक सूत्र ने कहा कि महबूबा मुफ्ती के रिश्तेदारों और सहयोगियों की भी इस मामले में पूछताछ की जा रही है। सूत्र ने कहा कि यह मामला एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद दायर किया गया था।
पारा को बीते साल 25 नवंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2019 के संसदीय चुनाव के दौरान आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ मिलकर साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एनआईए मामलों के विशेष न्यायाधीश सुनीत गुप्ता ने पारा जमानत दी थी।
न्यायालय ने पारा को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड के साथ शर्तों के अधीन जमानत दी है। जिसमें वह जमानत की अवधि के दौरान अदालत की पूर्व लिखित अनुमति के बिना जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कहीं बाहर नहीं जा सकते थे। न्यायाधीश ने पीडीपी नेता को एनआईए के जांच अधिकारी के पास एक रसीद के साथ अपना पासपोर्ट जमा करने को भी कहा था।