पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद हामिद कारा ने गुरूवार को पार्टी और लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया। हामिद कारा 2002 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री रह थे। हामिद कारा ने आरोप लगाया है कि राज्य की वर्तमान पीडीपी बीजेपी गठबंधन सरकार घाटी में जारी हिंसा से निपटने में पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कश्मीर में भारी हिंसा और सूबे में सरकार की नाकामी की वजह से पद और पार्टी से इस्तीफा दिया है। इससे पहले हामिद ने राज्य में सरकार गठन के लिए पीडीपी-बीजेपी गठबंधन का भी विरोध किया था।
वहीं, पीडीपी में बगावत से बीजेपी ने खुद को किनारे कर लिया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये पीडीपी का अंदरुनी मामला है और इससे बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी के बीच विकास के एजेंडे को लेकर गठबंधन हुआ है। पीडीपी सांसद कारा का ये कदम सीएम महबूबा मुफ्ती पर बीजेपी से गठबंधन पर फिर से विचार करने को लेकर दबाव के रूप में देखा जा रहा है।
तारिक कारा ने मीडिया से बातचीत में कहा,’पीडीपी राष्ट्रीय स्वयं संघ द्वारा संचालित फासिस्ट पार्टी बीजेपी की सहयोगी बन गई है।’ कारा 2014 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर के श्रीनगर संसदीय सीट पर जीत दर्ज लोकसभा पहुंचे थे। वह दिवंगत नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बहुत नजदीक थे। कारा पीडीपी के फाउंडर मेम्बर रहे हैं। कारा ने शुरू में ही पीडीपी बीजेपी गठबंधन का विरोध किया था और कश्मीर में जारी हिंसा पर सरकार द्वारा लिए गए एक्शन पर अपना विरोध दर्ज कराया था। गौरतलब है कि कश्मीर में 8 जून को सेना के साथ मुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद भड़की हिंसा में अब तक 80 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 10 हजार से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
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कारा का जन्म 28 जून 1955 में हुआ था। वह जम्मू कश्मीर के सबसे युवा वित्त मंत्री रह चुके हैं। कारा 2004 में श्रीनगर के बाटामालू सीट से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इससे पहले 2003 में वह विधान परिषद् सदस्य रह चुके थे। कारा ने 1979 में कश्मीर विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने 1999 में पीडीपी की स्थापना के साथ ही सक्रिय राजनीति में कदम रखा था।
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तारिक हामिद कारा को अपने चाचा से राजनीति की ट्रेनिंग 15 साल की उम्र में ही मिलनी शुरू हो गई थी। उनके चाचा ख्वाजा गुलाम मोही उद दीन कारा जम्मू कश्मीर की राजनीति में बड़ा नाम हुआ करते थे। एक उत्साही राजनीतिज्ञ और काबिल प्रशासक के रूप में कारा ने 2005 में राज्य के शहरी विकास मंत्री एवं वन मंत्री के रूप में कैबिनेट में अपनी जगह बनाई। पद संभालने के मात्र 10 महीने के बाद ही कारा उनके बेहतरीन काम को देखकर उन्हें वित्त और कानून मंत्रालय का प्रभार सौंप दिया गया।
