जम्मू-कश्मीर पीडीपी नेता वहीद उर रहमान पारा ने कथित तौर पर 10 लाख रुपये आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को दिए थे। आरोप है कि लोकसभा चुनाव 2019 में आतंकी संगठन की मदद पारा ने ली थी। यह जानकारी जांच एजेंसी एनआईए को हासिल हुई है।
पिछले महीने केंद्रीय जांच एजेंसी ने पारा को गिरफ्तार किया था। केंद्र शासित प्रदेश में डीडीसी चुनाव से ठीक पहले ये गिरफ्तारी की गई थी। यह वही मामला है जिसके तार एसपी दविंदर सिंह से जुड़े हैं। कश्मीर के पुलवामा सीट पर चुनाव जीत चुके पारा फिलहाल इस समय जेल में हैं।
पारा के वकील ने एजेंसी के इस दावे पर कुछ भी कहने से इंकार किया है। हालांकि रिहाई के लिए एनआईए की विशेष अदालत में दायर की गई याचिका में पारा ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को खारिज किया है। पारा ने कहा कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पैसा कथित तौर पर हिजबुल के ऑपरेटिव सैय्यद मुस्ताक नवीद उर्फ नवीद बाबू को दविंदर सिंह के जरिए पहुंचाए गए थे।
जम्मू कश्मीर पुलिस में अफसर रहे दविंदर सिंह ने कथित तौर पर श्रीनगर एयरपोर्ट पर पैसा लिया और उसे एक टिफिन बॉक्स में छिपाकर आतंकियों तक पहुंचाया। बता दें कि इस साल जनवरी के महीने में दविंदर सिंह की गिरफ्तारी हुई है। वे अपनी कार में नवीद बाबू समेत हिजबुल कमांडर और हिजबुल ऑपरेटिव के साथ यात्रा कर रहे थे। बाद में एनआईए ने अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी की थी।
अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कहा था कि दविंदर सिंह आतंकियों को शरण देने और पाकिस्तान के इशारों पर काम करता था। सूत्रों की मानें तो पिछले साल फरवरी में हिजबुल आतंकियों ने पीडीपी नेता पारा से पैसों की मदद मांगी थी।
एक एनआईएअफसर के मुताबिक, “ इरफान शफी मीर जिसे एनआईए ने बाद में गिरफ्तार किया था को पारा लंबे वक्त से जानते थे। मीर ने पारा को बताया था कि हिजबुल को हथियार खरीदने के लिए 10 लाख रुपयों की जरूरत है। पारा ने इसके लिए हामी भरी थी और एक शर्त रखी थी कि लोकसभा चुनाव से पहले हिजबुल कोई हरकत नहीं करेगा। यहां तक कि पारा ने चुनाव में आतंकियों का समर्थन भी चाहा था।”