गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर अक्‍सर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगता रहता है। उन्‍होंने गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार समुदाय के विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात की भजापा सरकार के खिलाफ कई बार तीखी टिप्‍पणियां की थीं। इसके अलावा गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी उन्‍होंने तीखे भाषण दिए थे। इसके बाद युवा पाटीदार नेता पर लोगों को भड़काने वाला भाषण देने का आरोप लगने लगा है। अब हार्दिक पटेल ने भाजपा नेताओं का उदाहरण देकर पूछा है कि अगर वह भड़काऊ भाषण देते हैं तो ये नेता क्‍या करते हैं। टि्वटर पर उनका पोस्‍ट आते ही लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गईं। हार्दिक पटेल को कई अजीबोगरीब सवाल भी पूछे जाने लगे।

पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने शुक्रवार (5 जनवरी) को ट्वीट किया था, ‘अगर हार्दिक पटेल भड़काऊ भाषण देते हैं तो साध्‍वीजी, साक्षीजी, गिरिराज जी, संगीत सोम जी जैसे लोग क्‍या अमृत बरसाते हैं?’ इस पर राहुल पटेल ने ट्वीट किया, ‘संसद में हथियार के साथ घुसेंगे, हम 72 होंगे तो भी लाखों के जनाजे निकाल देंगे, हर तरफ हरा ही हरा कर देंगे और देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्‍वीरें और हिंदू त्‍योहारों पर बैन लगाएंगे। वे लोग इन सबका जवाब देते हैं, पर खैर तुम्‍हें ये भड़काऊ भाषण ही लगेंगे।’ जीवनदीप ने लिखा, ‘ये लोग हिंदुस्‍तान को जोड़ने की बात करते हैं और तुम लोग देश तोड़ने की।’ अमित सिंह राठौर ने ट्वीट किया, ‘वो तुम जैसी सोच रखने वालों के लिए अमृत ही है।’ वहीं, अतुल मिश्रा ने ट्वीट किया, ‘तुम उग्रवादी हो ये कैसे भूल जाते हो। तुम्‍हारी तुलना साध्‍वीजी, साक्षीजी, गिरिराज जी, संगीत सोम जी जैसे लोगों से हरगिज नहीं हो सकती है।’

हार्दिक पटेल शुरुआत से ही भाजपा के खिलाफ हमलावर रहे हैं। कुछ दिनों पहले उन्‍होंने पटेलों के विरोध-प्रदर्शन में शामिल रहे युवाओं को जेल में बंद करने की आलोचना की थी। उन्‍होंने ट्वीट किया था, ‘सूरत में पटेल आंदोलनकारियों को गलत मुकदमे में सेंट्रल जेल में बंद किया गया है। मैं उन निडर युवाओं से मिलकर उनका हौसला बढ़ाने गया था। यह जानकर बहुत दुख हुआ कि युवा खुद के भविष्‍य के लिए लड़ता है और उसी को जेल में बंद कर दिया जाता है।’ गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान गुजरात के तीन युवा नेताओं हार्दिक पटेल, जिग्‍नेश मेवाणी और अल्‍पेश ठाकोर ने राज्‍य में सत्‍तारूढ़ भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि, भाजपा चुनाव जीतने में सफल रही थी, लेकिन उसकी सौ से भी कम सीटें आई थीं।