पठानकोट आतंकवादी हमले को अंजाम देने की साजिश भारत ने ही रची थी, पाक मीडिया में आई इस तरह की खबरों को यहां गंभीरता से लिया गया है। इस रुख को पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान की ‘दोमुंही बात’ के तौर पर देखा जा रहा है। दैनिक ‘पाकिस्तान टुडे’ में प्रकाशित खबर में अनाम जेआईटी सदस्य के हवाले से कहा गया है कि यह हमला कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार है और भारतीय अधिकारियों के पास उनके दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं है। खबर में कहा गया, ‘हमले के कुछ ही घंटे बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने सभी हमलावरों को मार गिराया था। बहरहाल, भारतीय अधिकारियों ने इसे तीन दिन का नाटक बना दिया ताकि पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए विश्व समुदाय का अधिकतम ध्यान खींचा जा सके।’
इस खबर को खारिज करते हुए एक अन्य सरकारी सूत्र ने बताया कि जेआइटी को मुहैया कराए गए सबूत अंतरराष्ट्रीय समीक्षा का सामना कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों पर हैरत जताई कि एनआइए ने दौरा करने वाली टीम को पर्याप्त सबूत मुहैया नहीं कराए। सूत्र ने कहा, ‘जेआईटी ने जो भी मांगा था, वह उसे मुहैया करा दिया गया था। इनमें गवाहों के बयानों की प्रमाणित प्रति, चार आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट, उनके पास से बरामद सामग्रियों की सूची शामिल है।’
पाकिस्तान ने अपने देश की अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत एनआइए से साक्ष्य साझा करने का अनुरोध किया था। सूत्र ने बताया कि पुलिस अधीक्षक सलविंदर सिंह और उनके मित्र आभूषण कारोबारी राजेश वर्मा से छीने गए दो फोन के कॉल डाटा रिकार्ड को जेआईटी के साथ साझा किया गया है। इन्हीं मोबाइल नंबरों से आतंकवादियों ने पाकिस्तान में एक नंबर पर बातचीत की थी।
भारत ने नसीर हुसैन और उसकी मां खय्याम बब्बर के बीच रिकार्ड की गई बातचीत को साझा किया है। नसीर उन चार आतंकवादियों में शामिल था जिसने एक और दो जनवरी के बीच की रात में भारतीय वायुसेना ठिकाने पर हमला किया था। एनआइए ने नसीर के परिवार से उसके डीएनए का नमूना मांगा था। जांच एजंसी ने भारतीय वायुसेना ठिकाने के भीतर से आतंकवादियों की काशिफ जान सहित उनके आकाओं से हुई बातचीत की रिकार्डिंग भी सौंपी है। उसके बाद से काशिफ लापता है।
पाकिस्तानी जेआइटी ने एनआइए से चारों आतंकवादियों से जुड़ी चीजें मांगी हैं। इन आतंकवादियों की पहचान नासिर हुसैन (पंजाब प्रांत), अबु बकर (गुजरांवाला), उमर फारूक और अब्दुल कय्यूम (सिंध) के रूप में हुई है।
एनआइए ने पाकिस्तानी टीम को आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट सौंपी और कहा कि वे उनके परिवार के सदस्यों से इसका मिलान करें। पाकिस्तानी जेआइटी पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद ताहिर राय की अगुआई में भारत आई थी और उसमें आइएसआइ के लेफ्टिनेंट कर्नल तनवीर अहमद भी शामिल थे। जेआइटी ने 16 लोगों के बयान दर्ज किए। पाकिस्तानी दल ने उन गवाहों की सूची एनआइए को सौंपी थी, जिसके बयान उसे दर्ज करने थे।
जिन 16 गवाहों से पूछताछ की गई उनमें सिंह, वर्मा और सिंह का रसोइया मदन गोपाल शामिल है। इन तीनों को पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से संबंधित आतकवादियों ने 31 दिसंबर और एक जनवरी के बीच अगवा किया था। बाद में इन्हीं आतंकवादियों ने पठानकोट हमले को अंजाम दिया।
आतंकवादियों ने कथित रूप से वर्मा का गला काट कर उसे फेंक दिया और सिंह व गोपाल को अपने साथ ही रखा। खतरे की आशंका को भांपते हुए उन्होंने इन दोनों को पठानकोट के वायु ठिकाने से कुछ किलोमीटर पहले छोड़ दिया था। इसके बाद आतंकवादी वायुसेना ठिकाने के भीतर घुसे और उन्होंने दुस्साहसी हमला किया। बाद में हुई भीषण मुठभेड़ में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए जबकि चार आतंकवादी मारे गए।
* सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘पाकिस्तान के सरकार समर्थक एक दैनिक की खबर से केवल यही पता चलता है कि आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना दोमुंही बात कर रहे हैं।
* भारत ने पाकिस्तानी संयुक्त जांच दल (जेआइटी) को यहां उसके दौरे के समय पाक स्थित आतंकवादियों के शामिल होने के बारे में अकाट्य सबूत दिए थे।’