संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को सांसद रवि किशन ने लोकसभा में एक अहम मुद्दा उठाया। बीजेपी सांसद ने शून्यकाल के दौरान देश में कानून के बढ़ते दुरुपयोग और फर्जी मुक़दमों की समस्या को गंभीरता से उठाया। साथ ही रवि किशन ने निर्दोष लोगों और उनके परिवारों के जीवन पर झूठे आरोपों के प्रभाव के बारे में बात की और बताया कि कानूनों के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार को कानूनों में बदलाव लाना चाहिए।
बीजेपी सांसद ने कहा कि यह प्रवृत्ति अब कुछ अलग-अलग मामलों तक सीमित नहीं रही है बल्कि देश की न्याय व्यवस्था और सामाजिक ढांचे के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। रवि किशन ने कहा कि आजादी के बाद लोक कल्याण और सामाजिक समरसता के उद्देश्य से अनेक कानून बनाए गए लेकिन समय के साथ इनका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर बढ़ा है जो न्याय व्यवस्था और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद समाज के हित में बनाए गए अनेक कानून समय के साथ ऐसे हाथों में पहुंच रहे हैं जो प्रतिशोध, दबाव और झूठे आरोप लगाने के लिए उनका दुरुपयोग कर रहे हैं।
रवि किशन ने उठाई फर्जी मुकदमों की समस्या
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार स्वयं संज्ञान लेकर दिशा-निर्देश जारी किए, फिर भी फर्जी मुकदमों की समस्या लगातार बढ़ रही है और व्यवस्था को चुनौती दे रही है। सांसद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर हस्तक्षेप के बावजूद झूठे मुक़दमों की समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि फ़र्जी मुक़दमे अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं और इसके चलते निर्दोष नागरिकों को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
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रवि किशन ने कहा कि एक झूठे मुकदमे का असर किसी व्यक्ति के पूरे परिवार पर पड़ता है। लोग मानसिक तनाव, सामाजिक अपमान और आर्थिक संकट से गुजरते हैं। उन्होंने बताया कि कई परिवार अपनी जमा-पूंजी मुकदमों में खर्च कर देते हैं, उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित होती है और रोजगार पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक फर्जी मुकदमा किसी भी व्यक्ति की जिंदगी को कई साल पीछे धकेल सकता है।
फर्जी मुकदमों से अदालतों पर भारी बोझ- रवि किशन
सांसद ने लोकसभा में कहा, “एक आदमी के खिलाफ मुकदमा दायर होता है, अगर वो आदमी मुजरिम है तो उसे सजा मिले, जांच हो लेकिन अगर किसी पर झूठा मुकदमा होता है तो उसका पूरा परिवार बिखर जाता है। रवि किशन ने आगे कहा, “समाज में शख्स की क्रेडिबिलिटी खत्म हो जाती है, बहन-बेटियों की शादी बर्बाद हो जाती है और जो मुकदमा करता है वह आराम से रहता है।”
सांसद ने आगे कहा, ” फर्जी मुकदमों का असर केवल आरोपी व्यक्तियों तक सीमित नहीं है बल्कि इससे अदालतों पर भारी बोझ बढ़ जाता है। झूठे मामलों की वजह से वास्तविक पीड़ितों के मुकदमों की सुनवाई में देरी होती है जिससे न्याय तक पहुंचने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह प्रवृत्ति नहीं रुकी तो न्यायालयों का मुख्य उद्देश्य ही बाधित हो जाएगा।”
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