बहुचर्चित और लंबे समय से अटका पड़ा संसद संग्रहालय प्रोजेक्ट अब आखिरकार रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। कई दौर की असहमति, कंटेंट पर टकराव और बढ़ती लागत के बीच यह महत्वाकांक्षी योजना अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। ताजी जानकारी के मुताबिक, जिस प्रोजेक्ट को अगस्त 2023 तक पूरा हो जाना था, उसके अगले तीन महीनों में पूरा होने और अप्रैल 2026 तक आम लोगों के लिए खोलने की तैयारी है।
पता चला है कि फिलहाल इस प्रोजेक्ट में प्लानिंग और कंस्ट्रक्शन का काम एक साथ चल रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, संग्रहालय का ढांचा लगभग तय हो चुका है और अब जोर इसके कंटेंट और प्रस्तुति पर है। देरी के बावजूद, अब इसे तय समय में पूरा करने के लिए काम तेज कर दिया गया है।
इंटरैक्टिव डिस्प्ले और आधुनिक तकनीक पर विशेष ध्यान
अपग्रेड किए जा रहे संग्रहालय में जगह की सीमाओं को देखते हुए, संविधान सभा की आदमकद मूर्तियों और कुछ अन्य भौतिक प्रदर्शनों के लिए शायद पर्याप्त स्थान न हो। इसी वजह से, अधिक से अधिक सामग्री दिखाने के लिए इंटरैक्टिव डिस्प्ले और आधुनिक तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि सीमित जगह में ज्यादा कंटेंट समाया जा सके।
कंटेंट के फाइनल चरण से जुड़े लोगों का कहना है कि संग्रहालय की केंद्रीय थीम यह दिखाने की कोशिश करेगी कि लोकतंत्र भारतीय संस्कृति का मूल हिस्सा कैसे रहा है। इसमें यह तुलना भी की जाएगी कि भारत के आसपास के वे देश – जैसे पाकिस्तान और श्रीलंका – जिन्होंने लगभग उसी समय आजादी हासिल की, वहां सत्तावादी शासन या लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराए जाने के दौर आए, जबकि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था लगातार बनी रही।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व से शुरुआत करते हुए, महाजनपदों के उदय और उत्तरी भारत में फले-फूले बड़े राज्यों या गणराज्यों तक की यात्रा के ज़रिये यह संग्रहालय भारत को आरंभिक काल से ही लोकतंत्र की जननी के रूप में प्रस्तुत करेगा। सूत्रों के मुताबिक, आगे चलकर पंचायत व्यवस्था और आदिवासी समुदायों में मौजूद लोकतांत्रिक परंपराओं को भी इस नैरेटिव का हिस्सा बनाया जाएगा।
हालांकि, इस प्रोजेक्ट में तय समय से हुई देरी की सबसे बड़ी वजह इसके कंटेंट को लेकर चला लंबा विवाद रहा। यही असहमति प्रोजेक्ट की गति पर लगातार असर डालती रही।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में लोकसभा सचिवालय – जिसके अंतर्गत यह संग्रहालय आता है – ने इस साल मई में बताया कि नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट (NMI) की अब इस प्रोजेक्ट में कोई “खास भूमिका” नहीं है। एनएमआई, जो केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है, को पहले कंटेंट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
आरटीआई के जवाब के अनुसार, अप्रैल 2023 से इस साल जनवरी तक इस प्रोजेक्ट से जुड़ी 34 बैठकें हुईं, लेकिन इनमें से किसी भी बैठक में एनएमआई की प्रोफेसर मानवी सेठ शामिल नहीं थीं। सेठ एनएमआई में डीन (एकेडमिक्स) हैं और शुरुआत में कंटेंट टीम का नेतृत्व कर रही थीं।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रोफेसर सेठ ने कहा, “कंटेंट जमा करने के बाद, लोकसभा सचिवालय की ओर से मुझे कुछ भी नहीं बताया गया। मैंने भी उनसे संपर्क नहीं किया। कंटेंट जमा करने के साथ ही मेरा काम खत्म हो गया था।” सूत्रों का कहना है कि न सिर्फ़ उनके द्वारा दिया गया कंटेंट पूरी तरह से संशोधित किया गया, बल्कि उनकी छह थीम को बढ़ाकर नौ कर दिया गया है।
प्रोफेसर सेठ के नेतृत्व में रिसर्चर्स की टीम द्वारा लोकसभा सचिवालय को सौंपी गई छह थीम थीं – लोकतंत्र के बीज; भारत का संवैधानिक इतिहास; भारत की संरचनात्मक शक्ति; एक्शन में भारतीय लोकतंत्र; भारत के लोकतंत्र का सफल संचालन; और संसद भवन: अतीत, वर्तमान और भविष्य।
अब जो संशोधित थीम फाइनल की गई हैं, उनके नाम हैं – भारत का लोकतांत्रिक लोकाचार और भारतीय राजनीतिक सोच का जागरण; संविधान का निर्माण; एक्शन में भारतीय लोकतंत्र; भारत की संसद: भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला; एक अधिनियम का निर्माण (विधायी प्रक्रिया); चुनौतियों के सामने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करना; स्थानीय शासन; संविधान क्षेत्र; और लोकतंत्र का उत्सव।
गौरतलब है कि संसद संग्रहालय का उद्घाटन 15 अगस्त, 2006 को राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। वर्ष 2023 में “आधुनिकीकरण और अपग्रेडेशन” के उद्देश्य से संग्रहालय के सभी पुराने प्रदर्शनों को हटा दिया गया था। यह अपग्रेडेड संग्रहालय सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट के मास्टर प्लान का हिस्सा नहीं है।
लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 15 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 24 करोड़ रुपये हो गई है। एनएमआई ने कंटेंट मुफ्त में उपलब्ध कराया था और उसे केवल “विविध खर्चों” के लिए 6 लाख रुपये का भुगतान किया गया। अब कंटेंट पैन इंटेलेकॉम लिमिटेड द्वारा तैयार किया जा रहा है। कंपनी के प्रतिनिधि हरबीर सिंह पनेसर ने द इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
इतिहासकार मक्खन लाल – जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हैं और जिन्होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय पर भी काम किया है – को पैन इंटेलेकॉम ने नियुक्त किया था। उन्होंने एनएमआई द्वारा दिए गए कंटेंट पर सवाल उठाए थे, लेकिन संपर्क करने पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इंडियन एक्सप्रेस ने 19 अप्रैल, 2023 को रिपोर्ट किया था कि मक्खन लाल ने 24 जनवरी, 2023 को कंटेंट में कुछ बदलावों की सिफारिश की थी।
इसके बाद, 9 फरवरी, 2023 को प्रोफेसर सेठ ने तत्कालीन लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह को पत्र लिखकर कहा था, “यह बेहद जरूरी है कि नैरेटिव और कंटेंट को पवित्र और पूरी तरह निष्पक्ष माना जाए। पैन द्वारा कंटेंट में कोई भी बदलाव – चाहे जोड़ना हो या हटाना – एनएमआई से पहले सलाह और सहमति के बिना नहीं किया जाना चाहिए।”
सूत्रों के मुताबिक, 24 मार्च, 2023 को लोकसभा सचिवालय को भेजे गए एक ईमेल में, जिसकी कॉपी एनएमआई को भी थी, मक्खन लाल ने एनएमआई द्वारा दिए गए “कंटेंट की खराब गुणवत्ता” पर सवाल उठाए और कंटेंट तैयार करने में शामिल लोगों के नाम बताने को कहा। इसके एक हफ्ते बाद, 10 अप्रैल को, एनएमआई ने अपने कुछ रेफरेंस के स्रोत के तौर पर विकिपीडिया आर्टिकल्स के लिंक साझा किए थे।
