वियतनाम में पाकिस्तान के कार्यवाहक राजदूत कमर अब्बास खोखर ने विवादित दावा किया है। उन्होंने रविवार को अपने एक ट्वीट में विश्व के पहले भाषाविद् पाणिनि और दुनिया के मशहूर राजनीतिक दार्शनिक चाणाक्य (कौटिल्य नाम से भी विख्यात) को प्राचीन पाकिस्तान का धरतीपुत्र बताया है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय को भी पाकिस्तान का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि आज से 2700 साल पहले तक्षशिला विवि प्राचीन पाकिस्तान के इस्लाबाद में मौजूद था। जहां 16 देशों के 10,500 से ज्यादा छात्रों ने 64 अलग विषयों में पाणिनि जैसे विद्वानों शिक्षा ली। अपने इस दावे के समर्थन में उन्हें वीडियों और तस्वीरें शेयर की है।

हालांकि उनके इस दावे के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया। कई यूजर्स ने उनके प्राचीन पाकिस्तान के दावे को मनगढ़ंत कल्पना बताया। खोखर को जवाब देते हुए आशीष अग्रवाल @aashiesh24 लिखते हैं, ‘मोहनजोदड़ो और सिंधु घाटी सभ्यता एक प्रचीन भारतीय सभ्यता हैं, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से में चली गईं।’ ऐसे ही एक यूजर @pravibalu_Dec93 उन्हें मदरसे का प्रोफेसर बताते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान का जन्म ही 73 साल पहले हुआ है तो प्रचीन पाकिस्तान कैसे हो गया। कमर अब्बास खोखर के दावे का पाकिस्तानी अवाम ने समर्थन किया है।

एक यूजर जाहिद हुसैन @ZahidHussain_R लिखते हैं, ‘मूल पाकिस्तान के इतिहास में इस तरह के महान काम के लिए धन्यवाद। हमें इसी तरह और कार्यों की जरुरत है ताकि भारतीय, मूल पाकिस्तान का इतिहास चुराने और उन पर अपना दावा करना बंद कर दें।’ इस ट्वीट के जवाब में कृष्ण @govindagopala ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ‘प्राचीन पाकिस्तान जो 1947 से पहले भारत का हिस्सा था। हद है जैसे हम पाणिनि और तक्षशिला का इतिहास नहीं जानते।’

एमएमएस @shivamudgil लिखती हैं, ‘ये प्रचीन पाकिस्तान क्या होता है। आप खुद 1947 में पैदा हुए हो। आप अधिक से अधिक सिर्फ महान भारत का सदस्य होने का दावा कर सकते हैं।’

इसी तरह ध्रुव @thedhruv_b नाम से एक यूजर लिखते हैं, ‘सच बोलो राजदूत। चाणाक्य और पाणिनी प्रचीन भारत में थे जो सनातन धर्म का पालन करते थे। पाकिस्तान को महज 73 साल पहले उन लोगों द्वारा बनाया गया जो मुसलमानों के लिए एक अलग देश चाहते थे।’ हेमदरी @Srikar_Hemu लिखते हैं, ‘ 1947 से पहले कोई पाकिस्तान नहीं था। पूरे एशियाई महाद्वीप में सिर्फ प्राचीन हिंदू धार्मिक स्थल थे। बहुत पुराने धर्मज्ञानियों के अनुसार 2700 साल पहले इस धर्म नहीं था।’