पैंडोरा पेपर्स में 380 भारतीयों के नाम हैं। इन नामों के खिलाफ कार्रवाई शुरू भी हो चुकी है। पैंडोरा पेपर्स में उद्योगपति से लेकर भगोड़े कारोबारी तक शामिल हैं। पैंडोरा पेपर्स में उद्योगपति अनिल अंबानी, भगोड़े नीरव मोदी, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, जैकी श्रॉफ, नीरा राडिया, हरीश साल्वे समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। जिनके नाम इस लिस्ट में हैं, उनके परिसर की तलाशी के लिए समन, संपत्ति जब्त करने के लिए बयान दर्ज करना, आयकर और आरबीआई से जानकारी लेने का काम एजेंसियां करने लगी हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के अनुसार जांच में गौतम सिंघानिया से लेकर ललित गोयल और मालविंदर सिंह तक शामिल हैं। पैंडोरा पेपर्स में 14 ऑफशोर सर्विस प्रोवाइडर्स के 1 करोड़ 19 लाख गुप्त दस्तावेजों का जिक्र है। इसमें सुपर-रिच लोगों द्वारा अपने ग्लोबल मनी फ्लो को मैनेज करने के लिए उपयोग की जाने वाली 29,000 ऑफशोर संस्थाओं के स्वामित्व की जानकारी दी गई है।
यह डेटा इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) द्वारा प्राप्त किया गया है और 150 मीडिया पार्टनर्स के साथ शेयर किया गया है। केंद्र सरकार ने जांच का नेतृत्व करने के लिए एक मल्टी एजेंसी ग्रुप (MAG) की स्थापना की घोषणा की। इसके बाद आयकर विभाग ने अधिकांश भारतीय नागरिकों को निर्देश भेजे हैं।
अनिल अंबानी
पैंडोरा पेपर्स के अनुसार एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी और उनके प्रतिनिधि जर्सी (ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह) और साइप्रस में कम से कम 18 ऑफशोर कंपनियों के मालिक हैं। 2007 और 2010 के बीच स्थापित इनमें से सात कंपनियों ने उधार लिया और कम से कम 1.3 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इन कंपनियों को मैनेज करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स ने कहा कि बैंकों से उनके लोन की गारंटी रिलायंस (अनिल अंबानी) द्वारा दी गई थी। अंबानी के वकील ने तब कहा था कि सभी खुलासे भारतीय कानून के अनुपालन में किए गए थे।
जांच अपडेट: ईडी ने सभी रिपोर्ट की गई संस्थाओं की जानकारी मांगी है। तीन भारतीय कंपनियों को निर्देश जारी किए गए हैं। फेमा के प्रावधानों के तहत अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना अंबानी को समन भेजा गया था और उनके बयान ईडी के मुंबई कार्यालय में दर्ज किए गए हैं।
गौतम सिंघानिया
पैंडोरा पेपर्स के अनुसार रेमंड लिमिटेड के चेयरमैन गौतम हरि सिंघानिया ने 2008 में बीवीआई में दो कंपनियों का अधिग्रहण किया। एक है डेरास वर्ल्डवाइड कॉर्पोरेशन, जहां वह बेनेफिसियल ओनर हैं। दूसरी लिंडनविले होल्डिंग्स लिमिटेड है, जहां सिंघानिया और उनके पिता विजयपत सिंघानिया को शेयरधारक के रूप में दिखाया गया है। यह कंपनी 2016 में बंद हो गई थी।
जांच अपडेट: फेमा जांच शुरू होने के बाद एक अनुरोध बीवीआई को भेजा गया और जवाब मिला कि प्रश्न आरबीआई को भी भेजे गए थे। आयकर विभाग से पूछा गया है कि क्या सिंघानिया परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ काला धन अधिनियम के तहत कोई मामला लंबित है। गौतम सिंघानिया और उनके पिता विजयपत सिंघानिया को तीन समन भेजे जा चुके हैं। विजयपत सिंघानिया ने 27 अप्रैल 2023 को अपना बयान दर्ज कराया, जिसमें उन्होंने डेरे से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया। दूसरे समन के जवाब में गौतम सिंघानिया का बयान 1 जून, 2023 को दर्ज किया गया था।
सचिन तेंदुलकर
पैंडोरा पेपर्स के अनुसार सचिन तेंदुलकर और उनके परिवार के सदस्य बीवीआई कंपनी सास इंटरनेशनल लिमिटेड के बेनेफिसियल ओनर थे। पनामा पेपर्स के आने के तुरंत बाद 2016 में सास इंटरनेशनल को बंद कर दिया गया था। जब बंद हुआ तो कंपनी के शेयर शेयरधारकों (तेंदुलकर, उनकी पत्नी अंजलि तेंदुलकर और उनके पिता) द्वारा वापस खरीद लिए गए। पैंडोरा पेपर्स में परिवार को PEPs (Politically Exposed Person) के रूप में लिस्ट किया गया है क्योंकि सचिन तेंदुलकर एक पूर्व सांसद भी थे।
जांच अपडेट: फेमा का उपयोग करते हुए ईडी ने क्रिकेट स्टार सचिन तेंदुलकर के आईटीआर विवरण के लिए आयकर को एक पत्र भेजा। सास पर जानकारी मांगने के लिए सचिन तेंदुलकर की कंपनी के सीईओ और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट को निर्देश भेजे गए। आगे की जांच जारी है।
नीरा राडिया
पैंडोरा पेपर्स के अनुसार नीरा राडिया लगभग एक दर्जन ऑफशोर कंपनियों की मालिक हैं। रिकॉर्ड्स में भारी वित्तीय लेनदेन (बीवीआई कंपनियों में से एक के माध्यम से दुबई में $251,500 की घड़ी की खरीद) का ईमेल था, जिसमें दिखाया गया था कि वह ‘do not contact’ ग्राहक थी। राडिया ने तब कहा था कि वह इन कंपनियों को नहीं जानती हैं और उनमें उनकी कोई शेयर नहीं है।
जांच अपडेट: फेमा का हवाला देते हुए ईडी ने नीरा राडिया से ऑफशोर कंपनियों का विवरण देने के लिए कहा और उनका बयान दर्ज किया। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनके घर पर तलाशी ली गई। इन तलाशी से जब्त किए गए डेटा को विश्लेषण के लिए भेजा गया है और उन्हें नए समन जारी किए गए हैं। ईडी ने नीरा राडिया की बहन करुणा मेनन का भी बयान दर्ज किया है।
हरीश साल्वे
पैंडोरा पेपर्स के अनुसार हरीश साल्वे ने लंदन में एक संपत्ति के मालिक होने के लिए 2015 में बीवीआई में द मार्सुल कंपनी का अधिग्रहण किया। उन्हें कंपनी के बेनेफिसियल ओनर और सचिव के रूप में दिखाया गया है और उन्हें भी PEPs के रूप में चिह्नित किया गया। हरीश साल्वे ने तब कहा था कि उन्होंने संपत्ति रखने के लिए मार्सुल में शेयर खरीदे थे और चूंकि वह एक एनआरआई थे, इसलिए उन्हें किसी ऑफशोर कंपनी के शेयर खरीदने के लिए आरबीआई की अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
जांच अपडेट: ईडी ने दर्ज किया कि पनामा पेपर्स में उनका नाम आने के बाद से हरीश साल्वे की जांच पहले से ही चल रही है। उनके रिटर्न के विवरण के लिए आईटी अधिकारियों से अनुरोध किया गया है। आगे की जांच जारी है।