सीएए के तहत नागरिकता पाने का पहला दावा सिखों की तरफ से किया गया है। इस समय पाकिस्तान से आए लगभग 160 शरणार्थी परिवार भारतीय नागरिकता की आशा में दिल्ली में मौजूद हैं। इनमें से 60 परिवार वे हैं जो 2 से 16 फरवरी 2020 के बीच नई दिल्ली पहुंचे हैं। यहां पहुंचा नया जत्था भारत की नागरिकता मिलने तक अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहता। दिल्ली के सिख नेताओं के मार्फत उन्होंने अपनी मांग केंद्र सरकार तक पहुंचाई है। ये परिवार यहां यमुना किनारे गुरुद्वारा मजनू का टीला के दक्षिण छोर पर अस्थायी ढांचा बनाकर रह रहे हैं। इनमें कुछ हिंदू भी हैं। पाकिस्तानी हिंदू सिख शरणार्थियों को तत्काल नागरिकता प्रदान करने का अनुरोध किया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इनकी मांगों को लेकर गृह मंत्रालय के साथ सूत्रधार बनी है। जब तक उन्हें स्थायी तौर पर नागरिकता नहीं मिल जाती, गुरुद्वारा कमेटी पाकिस्तान से आए हिंदू सिख शरणार्थी परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा आदि की सुविधा प्रदान करेगी। इसकी पुष्टि कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने की।
कमेटी के पदाधिकारियों व सिख नेताओं की मानें तो शरणार्थी परिवारों के कई सदस्य व्यवसायिक तौर पर कुशल पेशेवर हैं। वे अपनी सेवाओं के जरिए अपना यापन करने में सक्षम हैं। देश के विकास व अर्थवव्यवस्था में अपना योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने नया जीवन शुरू करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह से उनको नागरिकता प्रदान कर भारतीय बनाने का अनुरोध किया। बकौल सिरसा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्री से बात की। सरकार का रूख सकारात्मक है। गृह मंत्री ने केंद्रीय गृह सचिव को इस सिलसिले में तत्काल वैधानिक विकल्प खोजने का निर्देश दिया है। आशा है पीड़ित शरणार्थियों को जल्द ही राहत मिलेगी।
क्या चाहते हैं पाक के शरणार्थी युवा
शरणार्थी परिवारों के युवक-युवतियों की ओर से भारतीय सेना तथा अर्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं देने की इच्छा जताई गई है। वे सीमा पर चौकसी को तैयार हैं। इन परिवारों ने वीजा शर्तों में छूट देने का अनुरोध किया है। इन परिवार के लोग खासकर युवक-युवतियों भारत के दूसरे हिस्सों में भी आने जाने की छूट चाहते हैं ताकि वे रोजगार-शिक्षा आदि के लिए अन्य जगह यात्रा कर सकें। इस समय उनकी वीजा शर्तों के अनुसार वे केवल दिल्ली या हरिद्वार में ही रह सकते हैं। पाक के ये लोग नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के लिए भारत के ऋणी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। वे प्रधानमंत्री या गृहमंत्री से मिलना चाहते हैं। उनका कहना है कि सीएए की वजह से उनका भारत में रहने का सपना साकार होगा। वे चाहते हैं कि उन्हें सम्मानजनक जीवन यापन के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप सुविधाएं तथा लाभ प्रदान किए जाए।
शरणार्थी की नौबत क्यों
बकौल सिरसा पाकिस्तान में हिंदू सिख अल्पसंख्यकों के मानवीय अधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लघंन किया जाता है। हिंदू-सिख परिवार में मौत पर पार्थिव शरीर को जलाने तक पर यह कहकर अड़चन लगाते हैं कि पार्थिव शरीर को जलाने से वातावरण में बदबू फैलेगी। वे लाश को दफनाने के लिए दबाव डालते हैं।
पाकिस्तान में युवा हिंदू और सिख लड़कियों का अपहरण करके उनकी जबरदस्ती विवाह किया जा रहा है। सारा तंत्र वहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में दो महीनों में 53 हिंदू सिख लड़कियों का अपहरण करके उनकी इच्छा के विरूद्ध जबरदस्ती विवाह करके उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने पर मजबूर किया गया है। हाल ही में सिंध प्रांत में 17 साल की हिंदू लड़की कोमल कुमारी का अपहरण किया गया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव व अनेक मानवाधिकार संगठनों के पुरजोर विरोध के बावजूद जगजीत कौर और महक कुमारी के जबरन धर्म परिवर्तन और शादी के मामलों में अब तक कोई कारर्वाई नहीं की गई है।
यहां मौजूद सोना दास पाकिस्तान में सिंध प्रांत के हैदराबाद में रहते थे। वे कहते हैं कि हिंदू होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया गया। उन्हें परेशान किया गया। उनकी संपत्ति हड़प ली गई। अब उनका देश भारत ही है। एक अन्य शरणार्थी सुखनंद का मानना है कि भारत में आकर इनकी स्थितियां बेहतर हुई हैं। नागरिकता मिल जाने से वे तन से भी भारतीय हो जाएंगे।
कमेटी अपने स्कूलों में दाखिला को तैयार
कमेटी के अध्यक्ष सिरसा ने बताया कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी की ओर से दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर संचालित 11 गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों में इन बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वे अपनी पढ़ाई सुचारू रूप शुरू कर सकें। इन बच्चों को गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों में दाखिला देने के लिए कमेटी ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। इस मामले को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया के संज्ञान में भी लाया जा रहा है। उन्होंने आशा जताई की कि आगामी अप्रैल से शुरू होने वाले शैक्षिणक सत्र में ही इन बच्चों को स्कूलों में प्रवेश सुनिश्चित कर लिया जाएगा।

