पीएम मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान में रह रहा एक हिंदू परिवार वहां से सबकुछ छोड़कर भारत आ गया था। 2 साल पहले यह परिवार जिस देश को अपना मानकर यहां चला आया था उसी देश के कुछ नियम उनकी बड़ी लड़की की पढ़ाई में रुकावट बन रहे हैं। जिस परिवार की हम बात कर रहे हैं वह पाकिस्तान के सिंध से आकर भारत के राजस्थान के जयपुर में रहने लगा है। इन लोगों के पास यहां का लंबे समय का वीजा है।

इस परिवार में मशाल नाम की एक लड़की है। उसके माता-पिता ने यहीं पर उसका एडमिशन करवा दिया था। हाल में मशाल का 12वीं का रिजल्ट आया था जिसमें उसने 91 प्रतिशत अंक हासिल किए पर परिवार इसकी खुशी भी ज्यादा देर तक नहीं मना पाया क्योंकि उनके सामने एक नई परेशानी खड़ी थी।

यह परेशानी थी अपने बेटी के डॉक्टर बनाने के सपने को सच करने की। दरअसल, मशाल ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट देना चाहती है पर फॉर्म नहीं भर सकती क्योंकि फॉर्म में नागरिकता के नाम पर भारतीय और NRI का ही ऑप्शन है। अब ना तो वह भारतीय है और ना ही प्रवासी भारतीय।

मशाल के घरवालों ने इसके लिए राजस्थान सरकार से बात भी की, पर उन्होंने यह कहकर हाथ खड़े कर दिए कि यह एग्जाम तो केंद्र सरकार करवाती है। वहीं, जयपुर के ही एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज कर रहे मशाल के माता-पिता का कहना है कि उनके पास किसी प्राइवेट कॉलेज से पढ़ाई करवाने के लायक पैसे नहीं हैं।

मशाल भी अब निराश होने लगी है। उसने कहा, ‘अगर यह मामला अगले दो-तीन महीनों में नहीं सुलझा तो मुझे डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर कुछ और करना होगा। इसकी कोचिंग के लिए मैं वैसे ही अपना काफी वक्त और पैसा लुटा चुकी हूं।’

इस मामले पर पाकिस्तानी रिफ्यूजियों के लिए काम करने वाले हिंदू सिंह सोधा ने कहा कि अगर सरकार पाकिस्तान से आने वालों को सुविधाएं और आगे बढ़ने के मौके देने में असमर्थ है तो फिर उन्हें यहां आने ही क्यों देती है।

मशाल के पिता ने आखिर में बस इतना कहा, ‘वहां हमें हिंदू कहा जाता था और यहां पाकिस्तानी के नाम से हमें पहचाना जाता है।’