पाकिस्तान LOC पर सीजफायर के समझौते से फिर से मुकर गया है। भारत के साथ बातचीत को बेहतर बनाने के लिए वह कश्मीर मामले का राग अलापने लगा है। पाक का कहना है कि 25 फरवरी को हुआ समझौता तभी एक नया आयाम ले सकता है जब भारत कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दे। पड़ोसी मुल्क के मुताबिक कश्मीर को पुराना स्टेटस मिलने से दोनों देशों के बीच के बातचीत और ज्यादा सार्थक हो सकेगी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाक का कहना है कि 25 फरवरी को डीजीएमओ स्तर पर जारी हुए ज्वाइंट स्टेटमेंट का मतलब यह नहीं है कि पाक अपने पुराने स्टैंड से पीछे हट गया। कश्मीर के मामले में पाकिस्तान अपने पहले वाले रुख पर आज भी कायम है। उसका मानना है कि यह मसला विवादास्पद है और संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल के पास विचाराधीन है। पाक का कहना है कि भारत यह न समझे है कि ज्वाइंट स्टेटमेंट देने मतलब उसका कश्मीर मुद्दे से पीछे हट जाना है।

रिपोर्ट कहती है कि सीज फायर के बाद यह पहला मौका है जब पाक ने अपने स्टैंड को फिर से सामने रखा है। पाक के मुताबिक, अगर भारत कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से बहाल करता है तो दूसरे द्विपक्षीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच बेहतर बात हो सकेगी। पाक के कहना है कि भारत यह न समझे कि डीजीएमओ स्तर पर समझौता किसी दबाव या कमजोरी के चलते किया गया। भारत यह भी न माने कि वह इस बातचीत के आधार पर दूसरे देशों को एक संदेश दे सकता है कि पड़ोसी मुल्क के साथ उसके संबंध दुरुस्त हैं या फिर कश्मीर के लोगों को वह यह बताए कि वहां जो होना था हो चुका, अब पाक के साथ दूसरे मसले ज्यादा अहम हैं।

पाक के मुताबिक, वह भारत के साथ सीज फायर को लेकर पिछले दो साल से बात करने का इच्छुक था, लेकिन न जाने किस कारण से भारत इसे लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहा था। पता नहीं क्यों अब वह क्यों बातचीत के लिए तैयार हो गया। पाक के मुताबिक, डीजीएमओ स्तर का समझौता सीमा पर रहने वाले लोगों के भले के लिए किया गया था। गोलाबारी में हासिल तो कुछ नहीं होता, लेकिन बेकसूर लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है।

पड़ोसी मुल्क का कहना है कि पाकिस्तान का पूरा सिस्टम यह मानता है कि भारत के साथ बातचीत बड़े पैमाने पर सार्थक रहती है तो इसे हर हाल में होना चाहिए। पाक का मानना है कि उसके लिए भारत से उलझना अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी ठीक नहीं है। उनके देश के लिए सबसे बड़ा मुद्दा अपने वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त करके अर्थव्यवस्था को स्टेबल करना है।

ध्यान रहे कि भारत के डीजीएमओ ने पाकिस्तान के मेजर जनरल नौमान जकारिया के साथ 22 फरवरी को बात की थी। दोनों के बीच 2003 के सीजफायर एग्रीमेंट के पालन पर सहमति बनी। हालांकि, इस सीजफायर को लेकर पाक ने कभी भी लिखित में कोई आश्वासन नहीं दिया था, लेकिन 26 नवंबर 2003 के समझौते के मुताबिक, पाक ने एलओसी पर शांति बहाली का वादा किया था। भारत ने भी इस पर अपनी सहमति जताई थी। अलबत्ता 2009 के बाद से पाक अपने वादे से पलट गया और सीजफायर के उल्लंघन का काम लगातार करने लगा। पाक ने कई बार सीजफायर को तोड़कर सीमा पर गोलीबारी की। हालांकि, 25 फरवरी के समझौते के बाद से सीमा पर शांति कायम है। पाक की तरफ से उसके बाद गोलाबारी नहीं की गई है।