पाकिस्तान के कराची में भारतीय करंसी 2000 रुपए के जाली नोट छापे जा रहे हैं। इन जाली नोटों की खासियत यह है कि इसमें भारतीय करंसी के सबसे हाईटेक फीचर की भी नकल की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जांच में नकली नोटों की जिस खेप को जब्त किया है वह असली नोटों की हूबहू कॉपी है। पुलिस और जांच एजेंसी भी असली और नकली नोट में मुश्किल से फर्क पहचान पा रही है।
इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक नोट में ‘ऑप्टिकल वैरिएबल इंक’ का इस्तेमाल किया गया है जो कि बिना किसी सरकारी मदद के संभव नहीं है। कराची के मलीर हाल्ट में इन नोटों की छपाई के लिए प्रेस बनाई गई है। ये नकली नोट भारत में थोक के भाव पहुंचाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के सीनियर अधिकारियों की देखरेख में ‘पाकिस्तानी सिक्योरिटी प्रेस’ चलाई जा रही है। नोटों को थोक के भाव भारत में भेजा रहा है। इसका मकसद भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह करना है।
नोट में ‘ऑप्टिकल वैरिएबल इंक’ का इस्तेमाल करना जांच एजेंसियों के लिए चौंकाने वाला है। इस इंक का इस्तेमाल नोट के धागे पर किया जाता है। इसका रंग रोशनी के हिसाब से बदलता है। चिंता की बात यह है कि 6 महीने पहले तक जितने भी जाली नोट पकड़े जा रहे थे उनमें इस इंक का इस्तेमाल नहीं हो रहा था।
स्पेशल सेल के टॉप अधिकारी के मुताबिक जांच में यह भी सामने आया है कि 2000 के नए भारतीय नोट के एकदम बाईं और दाईं ओर के किनारे में ‘ब्लीड-लाइनें’ खींची गई हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इस फीचर को भी कॉपी कर रही है। यह ‘ब्लीड-लाइनें’ नेत्रहीनों को नोट पहचानने में मदद करती हैं।

