PM Narendra Modi Role In Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच में सीजफायर हो चुका है, कई दिनों के तनाव के बाद शनिवार रात को सीमा रेखा पर भी पिछले दिनों के मुकाबले थोड़ी शांति दिखाई दी। जानकार मानते हैं कि इस बार यह जो सीजफायर हुआ है, असल में यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है क्योंकि भारत के जो भी उद्देश्य थे, मकसद थे, वो उसने पिछले 15 दिनों में पूरे कर लिए। बात चाहे पाकिस्तान का पानी रोकने की हो या फिर आतंकवादियों के खिलाफ एक कठोर कार्रवाई करने की, दोनों ही मोर्चे पर भारतीय सेना को अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई है।

पीएम मोदी का ‘Game Of Deception’

लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है। साइकोलॉजी में एक शब्द होता है ‘Game Of Deception’। अगर सरल शब्दों में बोले तो इसका मतलब होता है कि आप सामने वाले व्यक्ति को आसानी से गुमराह कर देते हैं, उसे अपने जाल में फंसा लेते हैं। इस बात को अगर भारत-पाकिस्तान तनाव से जोड़कर देखा जाए तो समझ आता है कि पीएम मोदी ने भी पड़ोसी मूल को अच्छे से फंसा कर रखा।

श्रीनगर में कई जगह धमाकों की आवाज

पीएम मोदी की काम करने की कार्यशैली

असल में पीएम नरेंद्र मोदी की जैसी राजनीतिक छवि रही है, वे हमेशा से ही आगे से नेतृत्व देने में विश्वास रखते हैं। बात चाहे उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल की हो या फिर अब, प्रधानमंत्री बनने की उनकी इस शैली में कोई बदलाव नहीं आया है। उनके आलोचक जरूर उन्हें कई मौका पर डिक्टेटर कहकर संबोधित करते हैं, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो उनके इसी अंदाज के फैन हैं। असल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी काफी ज्यादा एक्टिव हो चुके थे, उन्होंने रोज दो से तीन बैठकें की ,देर रात तक अधिकारियों के साथ चर्चा चली- संदेश एकदम स्पष्ट दिया गया था कि हमला सेना करेगी लेकिन नेतृत्व पीएम मोदी।

पहले बालाकोट, अब ऑपरेशन सिंदूर, कैसे फेल PAK?

अब अगर कोई सामने से नेतृत्व कर रहा है तो उसकी जिम्मेदारी भी उतनी बड़ी बन जाती है। मिशन किसी भी तरह से कंप्रोमाइज ना हो जाए, यह सबसे बड़ी चुनौती रहती है। इसके ऊपर क्योंकि सबसे ज्यादा मीडिया अटेंशन भी इस शख्स पर रहती है, ऐसे में उसका हर हाव-भाव काफी कुछ बयां करता है। अब कहां जा सकता है कि पीएम मोदी ने इसी कला में महारत हासिल कर ली है क्योंकि तनावपूर्ण स्थिति में भी उनके चेहरे पर मुस्कान दिख सकती है, यानी की जुबान पर कुछ और दिमाग में कुछ और। संभावना है कि पाकिस्तान तो खुद दो मौके पर ऐसे ही फंस चुका है, पहले बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त हुआ था और दूसरा अब ऑपरेशन सिंदूर के वक्त।

बालाकोट के टाइम मोदी ने कैसे किया गुमराह

जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, उस समय भी पीएम मोदी ने फ्रंट से लीड किया था और हर रणनीति का वे अहम हिस्सा थे। भारतीय वायु सेवा ने 26 फरवरी को बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, लेकिन उस बड़े एक्शन से 48 घंटे पहले तक पाकिस्तान को दुनिया के किसी और मुल्क को भनक तक नहीं लगी कि भारत कौन सा कदम उठाने जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह था क्योंकि 48 घंटे के दौरान पीएम मोदी जरूरत से ज्यादा सामान्य दिखाई दिए थे, एयर स्ट्राइक से सिर्फ एक दिन पहले यानी की 25 फरवरी 2019 को पीएम मोदी ने नई दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था और इसे देश को समर्पित किया।

सभी को उम्मीद थी कि उस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी पाकिस्तान पर होने वाले हमले के बारे में कोई ना कोई हिंट तो जरूर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं, उन्होंने सेना का जिक्र किया, उनकी तारीफ भी की, लेकिन एक बार भी अपने संबोधन में पाकिस्तान शब्द का प्रयोग तक नहीं किया। ऐसे में दुनिया के लिए यह एक सामान्य कार्यक्रम ही रहा, पाकिस्तान को भी कोई भनक नहीं लगी।

एयर स्ट्राइक से ठीक पहले कहां थे पीएम?

25 फरवरी की रात को 9:00 बजे पीएम मोदी एक बार फिर कैमरों के सामने आए थे, एक प्राइवेट मीडिया ग्रुप के समिट में भी शिरकत करने गए थे। वहां उन्होंने 30 मिनट तक लगातार बोला, कभी उनकी तरफ से भारत के विकास का जिक्र हुआ ,आतंकवाद की बात हुई, लेकिन एक बार भी पाकिस्तान या फिर उसकी किसी भी संभावित कार्रवाई को लेकर कुछ नहीं बोला। पते की बात यह रही 26 फरवरी को बालाकोट में एयर स्ट्राइक होने जा रही थी, लेकिन 25 फरवरी की रात को पीएम मोदी के चेहरे पर कोई चिंता की लकीर नहीं दिखी। उन्होंने उस मीडिया समिट में हंसी मजाक भी किया और बिल्कुल ही सहज नजर आए।

ऑपरेशन सिंदूर के वक्त ‘टेंशन फ्री’ अप्रोच

बड़ी बात यह रही जो पाकिस्तान बड़े-बड़े डींगे हाकता था, वो पीएम मोदी की इस रणनीति से पूरी तरह अंजान रहा। अब जब ऐसा एक बार हो तो इसे चूक का नाम दिया जा सकता है, लेकिन जो देश बार-बार इसी मोर्चे पर फेल हो रहा हो, इसे उसकी अयोग्यता, असमर्थता ही कहा जाएगा। अब बात करते हैं ऑपरेशन सिंदूर की जहां फिर पीएम मोदी ने पाकिस्तान को पूरी तरह गुमराह कर दिया और संभावित सबसे बड़ी और अप्रत्याशित कार्रवाई के बारे में कुछ भी लीक नहीं होने दिया। दिलचस्प बात यह रही कि पीएम मोदी का तरीका बिलकुल वैसा ही रहा जो बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त देखने को मिला था, कुछ घटनाक्रम भी एकदम समान ही दिखाई दिए।

बालाकोट रणनीति की गई कॉपी पेस्ट

ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से कुछ घंटे पहले पीएम मोदी एक प्राइवेट मीडिया के कार्यक्रम में गए थे। उस कार्यक्रम में भी उन्होंने विकसित भारत का सपना दिखाया था, विपक्ष पर निशाना साधा, यहां तक कहां कि पिछली सरकारों की सोच ‘लोग क्या कहेंगे’ वाली बीमारी से ग्रसित चल रही थी। लेकिन उनकी तरफ से पाकिस्तान शब्द का एक बार भी प्रयोग नहीं किया गया, वहां बैठी जनता ने जरूर कई मौकों पर उम्मीद जताई कि पीएम मोदी पहलगाम का जिक्र करेंगे या फिर पाकिस्तान को लेकर कुछ बोलेंगे, लेकिन असल में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं और कार्यक्रम खत्म हो गया।

क्या देश में हुई मॉक ड्रिल भी पाक को फंसाने के लिए?

ऑपरेशन सिंदूर से पहले एक और दिलचस्प पहलू देखने को मिला था। पूरे देश में मॉक ड्रिल का ऐलान होना मायने रखता है। एक तरफ देश ने तो इसे संभावित युद्ध से पहले वाली तैयारी के रूप में देखा, लेकिन पाकिस्तान को मैसेज गया कि भारत अभी भी तैयारी में व्यस्त है और उस पर कोई अटैक नहीं करेगा, और अगर करेगा भी तो आने वाले कुछ दिनों में तो ऐसा नहीं होने वाला। अब जानकार मानते हैं कि भारत सरकार, पीएम मोदी यही चाहते भी थे कि पाकिस्तान तक मैसेज जाए कि भारत अभी कार्रवाई नहीं करेगा। जब यह मैसेज पूरी तरह पाकिस्तान सरकार, वहां की आर्मी के मन में घर कर गया, उसी रात ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, जैश से लेकर लश्कर तक, बात तक कई आतंकी संगठनों को ,उनके आकाओं को पूरी तरह तबाह कर दिया।

मोदी का मजबूत नेतृत्व, पाकिस्तान में कहां है?

अब एक तरफ यहां तो पीएम मोदी का नेतृत्व रहा, तो वहीं दूसरी तरफ एक प्रधानमंत्री होने के बाद भी पाकिस्तान पूरी तरह अंदरूनी झगड़ों से ग्रसित दिखाई दिया। वहां से लगातार खबरें आती रहीं कि आर्मी का चीफ आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। अब तो जब भारत और पाकिस्तान के बीच में सीजफायर हो चुका है, दोनों की तल्खी और ज्यादा सामने आ चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान तो मुश्किल समय में भी एक दूसरे से लड़ कर खुद ही बर्बाद हो जाता है तो वहीं दूसरी तरफ भारत इस मुश्किल समय में एकजुटता दिखता है बेहतरीन नेतृत्व का उदाहरण पेश करता है।

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