India Pakistan Tensions: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर ड्रोन और मिसाइल से हमला कर रहे पाकिस्तान की स्थिति ऐसी बिल्कुल नहीं है कि वह लंबे समय तक युद्ध लड़ सके। तमाम आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि पाकिस्तान की माली हालत बेहद खराब है।

इस बीच, पाकिस्तान को शुक्रवार को तब राहत मिली जब International Monetary Fund (IMF) ने उसे 1 अरब डॉलर के ऋण की मंजूरी दे दी। भारत ने इस कदम का पुरजोर विरोध किया और कहा कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश को यह रकम नहीं दी जानी चाहिए। बताना होगा कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।

130 अरब डॉलर से ज्यादा हुआ विदेशी कर्ज

पाकिस्तान भारी विदेशी कर्ज से परेशान है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी बहुत कम हो गया है। वह महंगाई से भी जूझ रहा है। 2024 में पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 130 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया जबकि उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी 15 अरब डॉलर से थोड़ा सा ज्यादा है। इतने विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर वह सिर्फ 3 महीने तक के आयात का भुगतान कर सकता है।

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पाकिस्तान की बेहद खराब माली हालात के बीच सितंबर, 2014 में उसे IMF से 7 अरब डॉलर के लोन की मंजूरी मिली थी। IMF की ओर से पाकिस्तान को यह लोन 37 महीनों में किस्तों में देने की बात कही गई थी और 1 बिलियन डॉलर की अगली किस्त को लेकर कुछ शर्तें रखी गई थीं।

IMF की ओर से इस साल अप्रैल में जारी की गई South Asia Development Update रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक गतिविधियों को लेकर सामने आए आंकड़े उम्मीद से कमजोर रहे हैं। IMF की पिछले साल आई एक रिपोर्ट में पाकिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता का भी जिक्र किया गया था।

ऐसी स्थिति में अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है तो इस पड़ोसी मुल्क को और ज्यादा पैसे उधार लेने होंगे जबकि दूसरी ओर भारत पर इसका बहुत बड़ा असर नहीं होगा।

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क्या कहा था मूडीज ने?

ऑपरेशन सिंदूर से ठीक 2 दिन पहले मूडीज रेटिंग्स ने भी इसे लेकर चेतावनी दी थी। मूडीज की ओर से कहा गया था कि भारत के साथ लगातार तनाव बढ़ने से पाकिस्तान की ग्रोथ पर असर पड़ेगा और इससे वह आर्थिक रूप से स्थिर नहीं हो पाएगा। मूडीज ने यह भी कहा था कि भारत के साथ लगातार तनाव बढ़ने से पाकिस्तान के लिए बाहर से पैसा लेना मुश्किल होगा और उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ेगा। जबकि भारत के लिए मूडीज ने कहा था कि भारत में आर्थिक हालत स्थिर रहेंगे।

पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में आई बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने वहां की आर्थिक आर्थिक मुसीबतों में इजाफा किया है।

अर्थव्यवस्था और कृषि पर पड़ेगा असर

आर्थिक मामलों के जानकार यूसुफ नजर ने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे लेख में कहा था कि भारत के साथ लंबे वक्त तक रिश्ते खराब रहने और लड़ाई की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर कृषि पर असर पड़ेगा।

‘पहले हमें लगा पटाखे फूट रहे हैं…’

यूसुफ नजर ने लिखा था, “कृषि पाकिस्तान की इकनॉमी की रीढ़ है जो इसके लगभग 40% लोगों को रोजगार देती है। देश की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता और 2022 की बाढ़ के लंबे वक्त तक रहे असर के बाद देश एक और बड़े झटके के लिए तैयार नहीं है। एक भी मुसीबत से उसकी इकनॉमी ध्वस्त हो सकती है।”

पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में जो आर्थिक चुनौतियां आई हैं, उससे यहां गरीबी बढ़ी है और इसका वर्ल्ड बैंक ने भी इस साल मार्च में जिक्र किया था। पाकिस्तान बिजली संकट और ऊर्जा फीड स्टॉक के आयात में मुश्किलों से जूझ रहा है। यह कारोबार को चलाने और घरेलू खपत के लिए जरूरी है। वर्ल्ड बैंक ने कहा था, “कोरोना महामारी, 2022 की बाढ़ और आर्थिक अस्थिरता के बीच गरीबी बढ़ी है। वित्त वर्ष 2024 (2023-24) के लिए अनुमानित निम्न-मध्यम आय गरीबी दर 42.3 प्रतिशत रही और पिछले साल की तुलना में 2.6 लाख और पाकिस्तानी गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं।”

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आयात पर आधारित ऊर्जा नीति की वजह से बढ़ी मुश्किलें

पाकिस्तान की आर्थिक मुसीबत के पीछे एक बड़ी वजह इसकी आयात पर आधारित ऊर्जा नीति है। इसकी वजह से उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर असर हुआ है, वहां महंगाई बढ़ी है और पाकिस्तान भारी मात्रा में कर्ज लेने के लिए भी मजबूर हुआ है और ऐसा तब होगा जब वैश्विक ऊर्जा कीमतों में तेजी आई हो। मार्च, 2023 में आई फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अब तक कुल 23 में से 15 बार IMF से मदद उस वक्त मांगी जब दुनिया भर में तेल का संकट चल रहा था।

पेट्रोलियम की तस्करी से परेशान है पाकिस्तान

इसके अलावा, पाकिस्तान के घरेलू जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) भंडार खत्म होते जा रहे हैं, जिससे ऊर्जा आयात पर उसकी निर्भरता बढ़ती जा रही है। कच्चे तेल के आयात के लिए वह सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात पर जबकि प्राकृतिक गैस के लिए कतर पर निर्भर है। पाकिस्तान ईरान में सीमा पार से होने वाली पेट्रोलियम की तस्करी से भी परेशान है। इससे पाकिस्तान सरकार को राजस्व को भारी नुकसान होता है।

पाकिस्तान में बिजली का बड़ा हिस्सा आयात किए गए ईंधन का इस्तेमाल करके बनाया जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में खराब प्रबंधन, ऊंची सब्सिडी की वजह से देश में सर्कुलर ऋण की समस्या पैदा हो गई है और इसने ऊर्जा संकट को बढ़ा दिया है।

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