राजस्थान के जैसलमेर में रेगिस्तान के बीच दो शव मिलने की खबर से हलचल मच गई। जांच के दौरान पता चला कि मृतक पाकिस्तान के एक युवा हिंदू जोड़े थे, जो अवैध रूप से सीमा पार कर भारत आए थे। इस सिलसिले में स्थानीय प्रशासन ने जैसलमेर में रह रहे सब्ज़ी विक्रेता मेवा राम से संपर्क किया, जिनका संबंध पाकिस्तान के उसी इलाके से है, जहां से यह जोड़ा ताल्लुक रखता था। शुरुआती दस्तावेज़ों और स्थानीय सूचनाओं के आधार पर पुलिस को मेवा राम और मृतक जोड़े के बीच किसी संभावित संबंध की आशंका हुई।

मेवा राम बताते हैं, “पहले तो मुझे कुछ भी पता नहीं था। यह खबर 28 जून को सामने आई, और फिर मुझे मीडिया रिपोर्टों से जानकारी मिली कि यह जोड़ा सिंध प्रांत का था जो मेरे पैतृक गांव के पास ही है। अगले ही दिन पुलिस ने मुझसे और जानकारी के लिए थाने बुलाया।”

पाकिस्तान में हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मेवा राम 2015 में भारत में शरण लेने के उद्देश्य से आए थे। उन्होंने बताया कि वह उसी गांव के दामाद हैं, जहां से महिला का कथित तौर पर संबंध था।

पुलिस ने कपड़ों से दो पाकिस्तानी राष्ट्रीय पहचान पत्र बरामद किए

पुलिस ने मृतक पुरुष के कपड़ों से दो पाकिस्तानी राष्ट्रीय पहचान पत्र बरामद किए। दस्तावेज़ों से मृतकों की पहचान रवि कुमार (17), पिता दीवान जी, और शांति बाई (15), पिता गुलू जी, के रूप में हुई। दोनों कार्डों पर ‘पाकिस्तान’ अंकित था और उनके पीछे उर्दू में जानकारी दी गई थी।

मेवा राम ने कहा, “पुलिस ने मुझसे कहा कि मैं सीमा पार रह रहे दंपत्ति के परिजनों से संपर्क करूं। कई रिश्तेदारों से संपर्क करने के बाद मुझे उनके परिवार की जानकारी मिल गई। आमतौर पर मैं पाकिस्तान में कॉल नहीं करता, लेकिन अधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद मैंने रवि कुमार के पिता को पुलिस की मौजूदगी में फ़ोन किया।”

उनके अनुसार, रवि कुमार पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी ज़िले के मीरपुर माथेलो गांव का निवासी था। करीब डेढ़ साल पहले विवाह के बाद, इस जोड़े ने रवि के पिता से हुए विवाद के बाद घर छोड़ दिया था। रवि ने कहा था कि वह अपनी पत्नी के साथ उसके पैतृक गांव गुलाम हुसैन जा रहा है। परिवार को उम्मीद थी कि वे कुछ दिनों में लौट आएंगे।

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मेवा राम ने बताया, “यह जोड़ा 21 जून को घर से निकला और उन्होंने अपने मोबाइल फ़ोन बंद कर दिए। उनके गांव से भारतीय सीमा लगभग 50 किलोमीटर दूर है। उन्होंने भारतीय वीज़ा के लिए आवेदन किया था, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद मंजूरी नहीं मिल पाई थी। कथित तौर पर वे पैदल ही सीमा पार करने की कोशिश में निकल पड़े और रास्ते में निर्जलीकरण की वजह से उनकी मौत हो गई। उनके परिवारों ने 22 जून को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।”

स्थानीय चरवाहों ने जब गज सिंह कुएं के पास दो शव पड़े देखे, तो उन्होंने पुलिस को सतर्क किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों के पास से मिले पाकिस्तानी पहचान पत्रों के आधार पर उनकी पहचान की। अत्यधिक गर्मी और निर्जलीकरण के कारण शव बुरी तरह सड़ चुके थे।

जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया, क्योंकि उनकी हालत जन स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती थी।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पाकिस्तान में मृतक दंपत्ति के परिवारों से संपर्क करने के प्रयास विफल रहे, क्योंकि उनके फोन बंद मिले। सूत्रों के अनुसार, परिजन डरे हुए हैं कि अगर वे मीडिया से बात करेंगे, तो उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों की सख्त प्रतिक्रिया झेलनी पड़ सकती है।

हिंदू पाकिस्तानी विस्थापित संघ और बॉर्डर पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के जिला समन्वयक दिलीप सिंह सोधा ने इस घटना को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “कई पाकिस्तानी हिंदू भारत आने को व्याकुल हैं, लेकिन सरकारी प्रक्रियाओं में देरी उन्हें ऐसे जोखिम उठाने के लिए मजबूर कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद वीज़ा मंजूरी की अनिश्चितता और बढ़ गई है। हम भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि वीज़ा प्रक्रिया को तेज किया जाए और विस्थापित हिंदुओं की पीड़ा को कम किया जाए।”