जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बीच करतारपुर कॉरिडोर परियोजना को तय समय पर खोला जाएगा। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच यह चर्चा थी कि इसे रद्द किया जा सकता है, लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इमरान खान सरकार गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले योजना को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान के विशेष सहायक, फिरदौस आशिक एवन ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत के साथ तय किए गए संदर्भ की शर्तों के अनुसार इस साल नवंबर में कॉरिडोर का संचालन किया जाएगा।
एवान ने कहा, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का अंतिम विश्राम स्थल, सिखों के लिए पवित्र और अंतरजातीय सद्भाव का आदर्श उदाहरण था। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के (तनावपूर्ण) संबंधों के बावजूद, पाकिस्तान के दरवाजे हमेशा दरबार साहिब करतारपुर आने वाले सिख तीर्थयात्रियों के लिए खुले रहेंगे। भारत और पाकिस्तान ने पिछले साल नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए कॉरिडोर के निर्माण पर सहमति जाहिर की थी। यह कॉरिडोर भारत के पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक मंदिर को लगभग चार किमी दूर रावी नदी के करतारपुर में दरबार साहिब से जोड़ेगा।
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उधर, पंजाब में दो कैबिनेट मंत्रियों समेत राज्य के कई कांग्रेस नेताओं ने रविवार को बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी पर उनके बयान को लेकर तीखा प्रहार किया। दरअसल स्वामी ने देशहित में करतारपुर कॉरिडोर को बंद करने की वकालत की थी। कांग्रेस पार्टी के आठ विधायकों समेत वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने स्वामी की निंदा की और कहा कि करतारपुर गलियारे पर उनके बयान से सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं।
एक संयुक्त बयान में विधायक और मंत्रियों ने कहा कि भाजपा और उसकी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा, “पूरा पंजाब खासकर सिख समुदाय यह अच्छी तरह जानता है कि बादल परिवार को सिखों के हितों में काम करने के बजाय सत्ता से चिपके रहना पसंद है।”