पाकिस्‍तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टाे ने हत्‍या से चार साल पहले दिसंबर 2007 में अपने देश की सेना पर न्‍यूक्लियर हथियारों की नीति को खतरनाक तरीके से आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। हालांकि उन्‍होंने भारत और पाकिस्‍तान के बीच परमाणु युद्ध की संभावना को खारिज किया था। 2003 में दिए इंटरव्‍यू में बेनजीर ने कहा था कि,’ वे सोचते हैं कि न्‍यूक्लियर हथियार बढ़ाकर वे भारत को झुका देंगे। क्‍योंकि उन्‍हें लगता था कि कश्‍मीर में चाहे जितना विद्रोह हो जाए भारत कहां तक जा सकता है। यदि भारत युद्ध छेड़ेगा तो दुनिया के अन्‍य देश दखल देंगे क्‍योंकि दोनों देश परमाणु सम्‍पन्‍न हैं। और यदि अन्‍य देश नहीं आए तो भी भारत जानता है कि यदि वह लाहौर की तरफ बढ़ेगा तो पाकिस्‍तान न्‍यूक्लियर बम इस्‍तेमाल कर सकता है। भारत इसका जवाब दे सकता है लेकिन फिर भी भारत में काफी लोग मारे जाएंगे।’ श्‍याम भाटिया ने अपनी किताब ‘बुलेट्स एंड बायलाइंस, डिस्‍पैचेस फ्रॉम काबुल, दिल्‍ली, दमिश्‍क एंड बियॉन्‍ड’ में इस इंटरव्‍यू को प्रकाशित किया है।

बेनजीर ने आगे कहा,’1977 के बाद से हमारी सुरक्षा व्‍यवस्‍था को जिया उल हक समर्थकों ने हथिया लिया। उनका मानना है कि अफगानिस्‍तान में कठपुतली सरकार होनी चाहिए जिससे कि अमूर नदी तक रणनीतिक गहराई मिल जाए।’ जब बेनजीर से पूछा गया कि जब वह पीएम थीं तो क्‍या उन्‍हाेंने भारत पर न्‍यूक्लियर हमला करने का सोचा था तो बेनजीर ने बताया,’ मैंने ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा। मेरा मानना था कि किसी भारतीय पर न्‍यूक्लियर हमला करना अपने ही लोगों पर हमला करना है। इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि न्‍यूक्लियर हथियार क्‍यों बनाए गए। क्‍योंकि न तो भारत और न पाकिस्‍तान इसका इस्‍तेमाल करेगा।’

भारत और भारतीयों के प्रति पाकिस्‍तानियों की भावना के बारे में पूछे जाने पर बेनजीर ने कहा, ‘ यह तनाव के समय अलग होती है और तनाव कम रहने पर अलग होती है। जब तनाव होता है और सीमा पर फौज तैनात होती है तो वे प्रत्‍येक भारतीय से नफरत करते हैं। फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। लेकिन जब तनाव नहीं होता तो वे भारतीयों का स्‍वागत करते हैं। भारतीय फिल्‍में पाकिस्‍तान में काफी लोकप्रिय हैं। हर समय पाकिस्‍तान में भारतीय सामान की तस्‍करी होती है। पाकिस्‍तानी भारतीय वीजा पाने को आतुर रहते हैं।’

उन्‍होंने बताया,’ अमेरिका में भारतीय, पाकिस्‍तानी और बांग्‍लादेशी खुद को दक्षिण एशियाई मानते हैं। वहां कोई घृणा नहीं है। मुझे लगता है कि जिस तरह से यूरोपियन यूनियन ने जो किया वैसा ही कॉमन मार्केट बनाया जाए। इकॉनॉ‍मिज क्रिएटिविटी और सर्विस सेंटर से आगे बढ़ती है। इसलिए अगर हम बाजार खोल देंगे तो लोग पाकिस्‍तान आएंगे। वहां की होटलें भरी रहेंगी, लोगों को काम मिलेगी। ऐसा ही आपके देश में होगा।’

  • श्‍याम भाटिया पत्रकार हैं और लंदन में रहते हैं।