जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए। मरने वालों में 25 टूरिस्ट थे। आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा फैसला लिया है। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी गई है तो वहीं पाकिस्तानी नागरिकों को हर हाल में 48 घंटे के अंदर भी भारत छोड़ने का निर्देश दे दिया गया है। पहलगाम हमले का विरोध पूरे जम्मू कश्मीर में हो रहा है। इस बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू से लेकर श्रीनगर तक शांत माहौल है।
‘चुप रहना पाप है’
हमले के बाद पूरा कश्मीर एक स्वर में बोल रहा है, “चुप रहना पाप है। जो लोग अपने परिवार के साथ मौज-मस्ती करने आते हैं, उन्हें ताबूत में वापस नहीं लौटना चाहिए।” कश्मीर में पहलगाम से लेकर श्रीनगर तक और जम्मू में किश्तवाड़ से लेकर डोडा तक, बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और बंद देखे गए। तीन दशकों में पहली बार ऐसा हुआ कि आतंकवादी हत्याओं ने इतने बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया है।
पहलगाम में लगभग 800 लोगों (जिनमें से कई पर्यटन और हाॅसपिटैलिटी सेक्टर से थे) ने पूर्ण बंद रखा और हत्याओं की निंदा करते हुए तख्तियां लेकर सड़कों पर उतर आए। पहलगाम होटलियर्स एंड गेस्टहाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम दुनिया और हमलावरों को बताना चाहते हैं कि हम पर्यटकों के साथ खड़े हैं। हमलावरों को यह बताने के लिए विरोध प्रदर्शन ज़रूरी थे कि इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जा सकते। ऐसा नहीं है कि हमारी आजीविका पर असर पड़ा है। हमारे पास दूसरे साधन हो सकते हैं, लेकिन चुप रहना पाप है।”
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लालचौक पर विरोध प्रदर्शन
श्रीनगर में लाल चौक में घंटाघर विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बन गया, क्योंकि राजनेता, व्यापारी और नागरिक समाज के सदस्य सामूहिक रूप से हमले की निंदा करने के लिए इकठ्ठा हुए। बुधवार शाम को शहर के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन और जुलूस निकाले गए, जिसमें नौहट्टा में श्रीनगर की जामिया मस्जिद के बाहर भी प्रदर्शन और जुलूस निकाले गए। इसमें स्थानीय निवासी तख्तियां और मोमबत्तियां लेकर आए। नौहट्टा में एक दुकानदार ने कहा, “आज पूरा कश्मीर एक स्वर में बोल रहा है। हम इस हिंसा को अस्वीकार करते हैं। यहां हर कोई समझता है कि इस हमले को अंजाम देने वाले लोग मानवता और कश्मीरियों के खिलाफ हैं।”
सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस, विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों ने अपने पार्टी कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसका समापन घंटाघर पर हुआ। भाजपा ने जवाहर नगर में पार्टी मुख्यालय पर विरोध मार्च निकाला। लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन में कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री भी शामिल हुई, जबकि मक्का मार्केट में काले झंडे फहराए गए। हमलों के कारण पर्यटकों का पलायन शुरू हो गया है, इसलिए कश्मीर के विभिन्न होटल व्यवसायी संघों के सदस्यों ने लोगों से घाटी की अपनी यात्रा रद्द न करने का आग्रह किया है।
जानें क्या सोचते हैं लोग
श्रीनगर के अब्दुल्ला ब्रिज पर नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा मौन मार्च निकाला गया, जहां कई महिलाएं पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता में इकठ्ठा हुईं। विरोध प्रदर्शन के दौरान राजबाग निवासी आमना अली ने कहा, “यह भयानक है कि निहत्थे नागरिक उन स्थितियों और नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। जो व्यक्ति अपने परिवार के साथ खुशी के कुछ पल बिताने के लिए यहां आना चाहता है, उसे ताबूत में वापस नहीं जाना चाहिए।”
जम्मू क्षेत्र में भी धार्मिक और राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर 3.30 बजे जम्मू-कश्मीर सरकार और क्षेत्र भर के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों ने सम्मान और एकजुटता में दो मिनट का मौन रखा। किश्तवाड़ और डोडा के मुस्लिम बहुल इलाकों में, प्रदर्शनकारियों ने हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। एक्स पर एक पोस्ट में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हमले को क्रूरता का बर्बर और मूर्खतापूर्ण कृत्य कहा और कहा कि हमारे समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।
हम घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं- उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हम इस घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हैं। कोई भी धनराशि प्रियजनों के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन समर्थन और एकजुटता के प्रतीक के रूप में, जम्मू-कश्मीर सरकार मृतकों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों के लिए 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा करती है। पीड़ितों को उनके घर वापस भेजने की व्यवस्था की गई है।”