Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों ही वैश्विक स्तर पर समर्थन जुटाने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान को हर मोर्चे पर झटके ही लग रहे हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने अपनी राजधानियों में विदेशी राजदूतों को जानकारी दी।
खास बात यह है कि भारत ने विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के प्रभारी संयुक्त सचिव एम आनंद प्रकाश को भी इस सप्ताह काबुल भेजा। आनंद प्रकाश विदेश मंत्रालय में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का कार्यभार संभालते थे। उनके काबुल पहुंचने से पहले ही तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की।
पहलगाम हमले को लेकर आया तालिबान का बयान
अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने कहा कि अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात का विदेश मंत्रालय जम्मू -कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हाल ही में हुए हमले की कड़ी निंदा करता है और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों को कमजोर करती हैं।
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अफगानी विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
अफगानिस्तानी विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया कि एक शीर्ष भारतीय राजनयिक ने विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और द्विपक्षीय राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने तथा व्यापार और पारगमन सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने हाल के क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
अफगानी सरकार के बयान के मुताबिक मुत्ताकी ने काबुल और दिल्ली के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों के विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और व्यापारियों, रोगियों और छात्रों के लिए वीजा जारी करने की प्रक्रिया को सामान्य बनाने का आह्वान किया।
भारत और अफगानिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने की बात
उन्होंने काबुल को सहायता जारी रखने की दिल्ली की मंशा दोहराई तथा पहले से रुकी हुई पहलों को फिर से शुरू करने सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने में भारत की सोच से भी बताई।
इस बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने, वीजा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया है। यह मुलाकात विदेश सचिव विक्रम मिस्री की दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात के कुछ महीने बाद हुई। बैठक के दौरान, अफगान पक्ष ने भारत को आश्वासन दिया था कि वह किसी भी राष्ट्र के लिए खतरा नहीं है।
तुर्की ने भी दिए भारत को समर्थन के संकेत
तालिबान के साथ बातचीत करने और पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करने वाले बयान के बीच भारत तुर्की विदेश मंत्रालय के बयान को भी सकारात्मक मानती है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने अंकारा में कहा कि हमें यह जानकर बहुत दुख हुआ है कि आज (22 अप्रैल) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकवादी हमले में कई लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। हम इस जघन्य हमले की निंदा करते हैं।
तुर्की विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया कि हम उन लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपनी जान गंवाई और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। सूत्रों ने कहा कि यह गौर करने लायक है कि तुर्की के बयान में इसे आतंकवादी हमला कहा गया। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर को विवादित नहीं बताया गया और हमले की निंदा की गई – ये सभी एक मजबूत, सकारात्मक बयान के संकेत हैं।