राज्य सभा में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल(जीएसटी) को लेकर सहमति का माहौल है। हालांकि कांग्रेस अभी भी इस पर राजी नहीं हो पाई है। वहीं क्षेत्रीय दलों में अन्नाद्रमुक और बसपा को लेकर असमंजस का माहौल है। इस बिल के समर्थन में 53 भाजपा सांसदों के साथ सपा के 19, तृणमूल कांग्रेस के 12, जदयू के 10, बीजद के 8, तेलु्गुदेशम पार्टी के 6, एनसीपी के 5, डीएम के 4, राजद के 3, अकाली दल के 3, शिवसेना के 3 और तेलंगाना राष्ट्र समिति के तीन सांसद है। वहीं पीडीपी के दो, आरपीआई, बीपीएफ, एसडीएफ और एनपीएफ का एक-एक सांसद भी जीएसटी के पक्ष में है। इस तरह से यह आंकड़ा 135 होता है।
वहीं विपक्ष में कांग्रेस के 60, आईयूएमएल और केसीएम का एक-एक सांसद यानि कुल 60 सदस्य हैं। लेफ्ट के नौ सांसदों का सशर्त जीएसटी को सपोर्ट है। बसपा के छह और अन्नाद्रमुक के 13 सांसद किस ओर जाएंगे यह अभी तय नहीं है। इनके अलावा नामांकित और निर्दलीय सांसदों की संख्या 18 है। जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। बसपा पहले जीएसटी के साथ थी लेकिन मायावती पर हालिया टिप्पणी और गुजरात में दलितों के मुद्दे पर वह अपना हाथ पीछे खींच सकती है।
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बीजद के लोकसभा सांसद भृर्तहरि महताब ने कहा कि उनकी पार्टी बिल के पक्ष में हैं लेकिन वे संसोधन पेश करेंगे जिसके तहत खनिज उत्पादक राज्यों को उत्पादक राज्यों की तरह एक प्रतिशत सैस लगाने का अधिकार मिले। शिवसेना सांसद संजय रावत ने कहा, ”जीएसटी पर कोई विरोध नहीं है। हमने हमारी मांगों को लेकर सरकार को मेमोरेंडम दे दिया है। लेकिन भाजपा केवल कांग्रेस से ही बात कर रही है। उन्हें सेना और अकाली दल जैसे साथियों से भी बात करनी चाहिए।”
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नीतीश कुमार भी जीएसटी के समर्थन में ट्वीट कर चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि वे बिल के साथ हैं। जब कांग्रेस सरकार थी जब भाजपा इसे रोक रही थी और अब कांग्रेस इसे रोक रही है। वहीं सरकार का कहना है कि बहुमत के आंकड़ों में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। कई नामांकित और निर्दलीय सदस्य भी सरकार के साथ हैं। सरकार की ओर से कहा गया कि उनके पास 160 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। राज्य सभा में कुल 245 होते हैं और वर्तमान में दो पद खाली हैं।
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