West Bengal News: पश्चिम बंगाल के सुंदरबन के तटीय गांव पठानखाली का पंचायत कार्यालय पिछले कुछ महीनों से एक बड़े विवाद में फंसा हुआ है। यहां जाली जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने का गंभीर आरोप लगा है। पासपोर्ट रैकेट की लंबी जांच के बाद पुलिस को कथित तौर पर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। लगभग 4,000 परिवारों वाली इस ग्राम पंचायत ने दो सालों में कथित तौर पर 3,500 से ज्यादा जाली जन्म प्रमाण पत्र बनाए थे। इनमें से कई का इस्तेमाल भारतीय पासपोर्ट बनाने में होने का शक है।

इस मामले का एक आरोपी गौतम सरदार ग्राम पंचायत का ही निवासी है और पंचायत कार्यालय में अस्थायी कर्मचारी है। सरदार को 7 जून को अरेस्ट किया गया था। वह पासपोर्ट रैकेट को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से एक है। कोलकाता पुलिस के चीफ पब्लिक प्रोसिक्यूटर सौरिन घोषाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वह सरदार एक ग्राम पंचायत से जारी किए गए फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के पीछे का मास्टरमाइंड था। जांच से पता चला कि यह तंत्र फर्जी दस्तावेज बनाने और उन्हें अलग-अलग व्यक्तियों के पासपोर्ट बनवाने में इस्तेमाल करने में शामिल था। पठानखाली और आरोपी इस बड़े रैकेट का एक हिस्सा मात्र हैं।”

भारत की फर्जी जन्म प्रमाण पत्र राजधानी कह रहे- दीपाली मुंडा

दीपाली मुंडा नाम की एक महिला ने कहा, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि यहां ऐसा हो सकता है। लोग इस ग्राम पंचायत को ‘भारत की फर्जी जन्म प्रमाण पत्र राजधानी’ कह रहे हैं। हमारे रिश्तेदार हमें नीची नजरों से देखते हैं। एक व्यक्ति ने हमारी सारी प्रतिष्ठा धूमिल कर दी है।” 15,000 मतदाताओं वाली इस ग्राम पंचायत के अंदर आठ गांव आते हैं। इनमें पठानखाली, तेंतुलताली, बोरताली, जेलेपारा, गोपालकाटा, कामारपारा, नबागोपाल और तलतोला का नाम शामिल है।

कोलकाता पुलिस द्वारा कथित पासपोर्ट रैकेट की जांच के दौरान ही पठानखाली में हुए इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। जांचकर्ताओं के अनुसार, लगभग 400 फर्जी पासपोर्ट कई लोगों को जारी किए गए थे। इनमें से ज्यादातर कथित तौर पर बांग्लादेशी नागरिक थे। पहली गिरफ्तारी जनवरी में हुई थी और जांच अभी भी जारी है। पुलिस के मुताबिक, सरदार इस बड़ी कड़ी की एक कड़ी मात्र है।

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फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मिलना कोई नई बात नहीं- वरिष्ठ पुलिस अधिकारी

कोलकाता के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “एक ही ग्राम पंचायत से इतने सारे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मिलना कोई नई बात नहीं है। फर्जी पासपोर्ट मामले में कई मामले दर्ज किए गए हैं और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक व्यक्ति तो ग्राम पंचायत से ही है।” इस मामले में शिकायतकर्ताओं में से एक ग्राम प्रधान सुचित्रा भुइयां हैं। तृणमूल कांग्रेस की नेता भुइयां ने 2019 में सरदार को पंचायत कार्यालय में एक अस्थायी कर्मचारी के रूप में काम दिलवाया था। सरदार की पढ़ाई 12वीं तक हुई है और उसे सालाना 3,500 रुपये वेतन पर रखा गया था। भुइयां का मानना है कि बाद में सरदार ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।

पुलिस के अनुसार, सरदार ने कथित तौर पर जन्म-मृत्यु तथ्य, सरकारी जन्म और मृत्यु पोर्टल – पर भुइयां के लॉगिन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल किया और फोन नंबर को अपने नाम से बदल दिया, कथित तौर पर यह सुनिश्चित करते हुए कि उसे प्रमाण पत्र बनाने के लिए ओटीपी मिल जाए। अलीपुर कोर्ट में उसे पेश करते हुए, कोलकाता पुलिस ने कहा कि सरदार को रैकेट के अन्य सहयोगियों से भारी मात्रा मिली और 2022 से 2025 की अवधि के दौरान आरोपी गौतम सरदार के बैंक खाते से वित्तीय लेनदेन वैरिफिकेशन का प्रोसेस में हैं।

ग्राम पंचायत से 3,500 से ज्यादा जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए

ग्राम प्रधान भुइयां ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “उन्होंने मेरे साथ विश्वासघात किया। उत्तर 24 परगना की अशोकनगर पुलिस ने मई में पासपोर्ट घोटाले के बारे में मुझसे संपर्क किया और हमें जन्म प्रमाण पत्र भेजा। जब हमने इसकी जांच की, तो पता चला कि पिछले डेढ़ साल में हमारी ग्राम पंचायत से 3,500 से ज्यादा जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, जबकि आमतौर पर 150-200 जन्म प्रमाण पत्र जारी होते हैं।”

आगे की जांच में, उन्होंने कथित तौर पर पाया कि उनमें से कई जन्म प्रमाणपत्रों पर नादिया और उत्तर 24 परगना की जगहों के नाम अंकित थे। उन्होंने कहा, “जल्द ही, हमें पता चल गया कि इसके पीछे गौतम का हाथ है। मैंने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के पंचायत विभाग को भी सूचित किया। हमने एक नया नियम भी बनाया, मेरी सहमति के बिना कोई भी जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता। पंचायत सचिव को निर्देश दिया गया कि वे सरकारी पोर्टल नियमित रूप से देखते रहें।”

टीएमसी के बूथ अध्यक्ष अनारुल मोल्लाह के अनुसार, पंचायत को जल्द ही अन्य कथित विसंगतियों का पता चला कि कई प्रमाण पत्र कथित तौर पर रात 1 बजे के बाद जारी किए गए थे। उन्होंने कहा, “यह पंचायत के काम के घंटों से कहीं ज्यादा था।” जसीमुद्दीन सरदार ने कहा, “यहां हर कोई एक-दूसरे को जानता है। हम उसे बाजार से महंगी चीजें खरीदते देखते थे और हमेशा सोचते थे कि उसके पास इतने पैसे कैसे आते हैं।”

हमें शर्म आती है- पंचायत सदस्य रफीकुल तरफदार

इस पूरे मामले का काफी मजाक उड़ाया गया है। पंचायत सदस्य रफीकुल तरफदार ने कहा, “हमें शर्म आती है। वह 2023 से ऐसा कर रहा है। अब गांव वाले हमें ताना मारते हैं। आस-पड़ोस में भी, हमारी ग्राम पंचायत फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के अड्डे के रूप में बदनाम हो गई है।” लेकिन इस कथित घोटाले का खामियाजा सिर्फ पंचायत को ही नहीं भुगतना पड़ रहा है।

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